Tuesday, June 19, 2012

मेरी संगिनी ......!

 
1 )मन का हठ
दिल की है तड़प
रूठी कलम .

2)कहाँ से लाऊं
विचारो का प्रवाह
शब्द है ग़ुम.

3)कैसे मनाऊं
कागज कलम को
हाथ से छुठे .

4)मेरी संगिनी
कलम तलवार
पक्की सहेली
5)
प्यासा मन
साहित्य की अगन
ज्ञानपिपासा .
6)
प्यासी धरती
है तपती रेत सी
मेघ बरसो .

7) समंदर के
बीच  रहकर  भी
रहा मै प्यासा .
8 )
अश्क आँखों से
सुख गए है  जैसे 
है रेगिस्तान .
9)
प्यासी ममता
तड़पता आँचल
गोदभराई .

:--शशि पुरवार 


 

11 comments:

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक हाइकु....

    ReplyDelete
  2. कुछ शब्दों में गहरी बात ... सभी हाइकू कहते हुवे ...

    ReplyDelete
  3. सुन्दर...........
    सभी हायेकु गहन भाव लिए हैं....

    बहुत खूब.

    ReplyDelete
  4. ....बड़ी सुन्दरता से बांधा है भावों को कविता में!

    ReplyDelete
  5. hyku specialist...:)
    hamara to dimag hi nahi chalta is vidha me!
    har pankti apne me sarvashresht!

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सार्थक हाइकु लिखे हैं आपने शशि जी !

    ReplyDelete
  7. वाह बहुत ही खूब

    ReplyDelete
  8. खूबसूरत हायकू...
    प्रभावशाली

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.



समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

http://sapne-shashi.blogspot.com