Wednesday, July 4, 2012

बारिश की बूंदे.....



बारिश की बूंदे
जरा जोर से बरसो
घुल कर बह जाये आंसू
न दिखे कोई गम
जिंदगी में नहीं मिलती है
जो , ख़ुशी चाहते हम ...!

अंदर -बाहर है तपन
दिल में लगी अगन
दर्द की भी चुभन
झिम झिम बरसे जब सावन
क्या अम्बर क्या नयन
बह जाये सारे गम
बूंदे जरा जोर से बरसो
भीग जाये तन -मन ....!

टप-टप करती बूंदे
छेड़े है गान
पवन की शीतलता
पात भी करे बयां

सौधी
  खुशबु नथुनो से
रूह तक समाये
चेहरे पर पड़ती बूंदे
मन के चक्षु खोल
अधरो पे मुस्कान बिछाये
गम की लकीरें पेशानी से
कुछ जरा कम हो जाये
बूंदे जरा जोर से बरसो ...!

:--शशि पुरवार
=====================

एक क्षणिका भी छोटी सी --

आई बारिश
खिल उठा मन
झूम उठा मौसम
जीभ को लगी अगन
चाय -पकोड़े का
थामा दामन ,
गर्म प्याली चाय की
ले एक चुस्की , और
भूल जा सारे गम
इन खुशगवार पलों का
है बस आनंदम ....!
-----शशि पुरवार

8 comments:

  1. कविता में भीगे...और क्षणिका में बह गए.....
    बहुत सुन्दर..

    ReplyDelete
  2. दोनों रचनायें लाज़वाब...

    ReplyDelete
  3. बड़े शिद्दत से आह्वान किया बारिश का

    ReplyDelete
  4. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,कविता और क्षणिकाए अच्छी लगी ,,,,

    MY RECENT POST...:चाय....

    ReplyDelete
  5. तलब है बस दो बूंद बारिश की

    ReplyDelete
  6. bahut hi achchha......... badhai swikar kree aap..

    ReplyDelete
  7. सुंदर स्वागत गीत ...
    आभार आपका !

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.



न झुकाऒ तुम निगाहे कहीं रात ढल न जाये .....

यूँ  न मुझसे रूठ  जाओ  मेरी जाँ निकल न जाये  तेरे इश्क का जखीरा मेरा दिल पिघल न जाये मेरी नज्म में गड़े है तेरे प्यार के कसीदे मै जुबाँ...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

http://sapne-shashi.blogspot.com