Wednesday, July 4, 2012
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समीक्षा -- है न -
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
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मेहंदी लगे हाथ कर रहें हैं पिया का इंतजार सात फेरो संग माँगा है उम्र भर का साथ. यूँ मिलें फिर दो अजनबी जैसे नदी के दो किनारो का...
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साल नूतन आ गया है नव उमंगों को सजाने आस के उम्मीद के फिर बन रहें हैं नव ठिकाने भोर की पहली किरण भी आस मन में है जगाती एक कतरा धूप भी, ...
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barish ki bunde ab baras bhi ja:)
ReplyDeleteek pyara sawann geet:)
कविता में भीगे...और क्षणिका में बह गए.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
दोनों रचनायें लाज़वाब...
ReplyDeleteबड़े शिद्दत से आह्वान किया बारिश का
ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,कविता और क्षणिकाए अच्छी लगी ,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST...:चाय....
तलब है बस दो बूंद बारिश की
ReplyDeletebahut hi achchha......... badhai swikar kree aap..
ReplyDeleteसुंदर स्वागत गीत ...
ReplyDeleteआभार आपका !