Friday, December 21, 2012
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समीक्षा -- है न -
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बेहद सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDelete"हो गए ध्वन्सित यहाँ के तंतु सारे
ReplyDeleteजिस्म पर ढांचा कोई खिरने लगा है
चाँद लज्जा का कहीं गम हो गया है
मान भी सम्मान अपना खो रहा है"
लाजवाब
बहुत खूब शशि जी |नववर्ष की शुभकामनाएँ |
ReplyDelete"हो गए ध्वन्सित यहाँ के तंतु सारे
ReplyDeleteजिस्म पर ढांचा कोई खिरने लगा है
चाँद लज्जा का कहीं गम हो गया है
मान भी सम्मान अपना खो रहा है"
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार
maan bhi samman kho raha........... bilkul sach..
ReplyDeleteदुग्ध धवल सा बहता जो जल,
ReplyDeleteआज ढूढ़ता एक वन निर्मल।
बहुत सही लिखा आपने
ReplyDeleteसादर
सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
ReplyDeleteबेहतरीन,सार्थक अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,,
ReplyDeleterecent post: वजूद,
सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteबहुत स्तरीय कविता है आपकी शशि जी
ReplyDeleteफिर लहू जमने लगा है
आत्मा पर
सत्य का सूरज
कहीं गुम हो गया है
झोपड़ी में बैठ
जीवन रो रहा है ..... आपका यह नवगीत मेरे लिये चावल के उस दाने की तरह है जिसे देखकर बर्तन के बाकी सारे चावलों का अंदाज़ा लगाया जा सकता है ...शेष फिर कभी यदि समय और मन ने कहा तो पढ़ने की कोशिश अवश्य करूँगा !
मैं यायावर हूँ मेरा कोई लिंक नहीं :)
ReplyDeletebehatareen...
ReplyDeleteसुन्दर ओ सार्थक रचना
ReplyDeleteआपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 26/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteउम्दा रचना ..
ReplyDeleteभाव पूर्ण सुन्दर प्रस्तुत्ति !!
ReplyDeleteभाव पूर्ण गीत मन के धरातल को छूता हुआ------बधाई
ReplyDeleteसत्य है इस सत्य के सूरज को आज ग्रहण लग गया है ...
ReplyDeleteप्रभावी नव-गीत ...
सुन्दर रचना.
ReplyDeleteअच्छी रचना....
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDelete♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगबलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
रक्त रंजित हो गए
सम्बन्ध सारे
फिर लहू जमने लगा है
आत्मा पर
सत्य का सूरज
कहीं गुम गया है
झोपडी में बैठ
जीवन रो रहा
वाऽह ! क्या बात है !
आदरणीया शशि पुरवार जी
आपने तो सुंदर नवगीत लिखा है ...
अब तक मैं आपकी मुक्त छंद रचनाओं से ही परिचित था
आपकी लेखनी से सदैव सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन हो …
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार