होरी आई री सखी ,दिनभर करे धमाल
हरा गुलाबी पीत रंग , बरसे नेह गुलाल .1
द्वारे पे गोरी खड़ी , पिया गए परदेश
नेह सिक्त पाती लिखी ,आओ पिया स्वदेश2
भेद भाव से दूर ये ,होरी का त्यौहार
डूबा जोशो जश्न में , यह सारा संसार 3
होरी के हुडदंग में , हुरियारों की जंग
मिल जाए जो सामने ,फेको उस पर रंग .4
अम्मा से बाबू कहे , खेलें होरी आज
कहा तुनक कर उम्र का , कुछ तो करो लिहाज .5
होरी की अठखेलियाँ , पकवानों में भंग
बिना बात किलकारियाँ , भंग दिखाए रंग 6
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कुण्डलियाँ
होली के हुडदंग में , हुरियारों की जंग
मिल जाए जो सामने, उस पर फेको रंग
फेको उस पर रंग , नीले पीले गुलाबी
घेरो सब चहुँ ओर, यह टोली है नबाबी
मस्ती का उन्माद , संग मित्रों के ठिठोली
जोश जश्न उल्लास , खेलो प्रेम की होली .
हाइकु -
१
होली है प्यारी
रंग भरी पिचकारी
सखियाँ न्यारी
२
मारे गुब्बारे
लाल पीले गुलाबी
रंग लगा रे
३
प्रेम की होली
दूर बैठी सखियाँ
मस्तानी टोली
४
होली की मस्ती
प्रेम का है खजाना
दिलों की बस्ती
५
चढ़ा के भंग
मौजमस्ती संग
बजाओ चंग
----- शशि पुरवार
आप सभी ब्लॉगर मित्रों को होली की हार्दिक रंग भरी शुभकामनाएँ
रंगों के महापर्व होली की
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (07-03-2015) को "भेद-भाव को मेटता होली का त्यौहार" { चर्चा अंक-1910 } पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteकाव्य के हर रंग में होली को रंग दिया ...
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in