१
स्वप्न साकार
मुस्कुराती है राहें
दरिया पार।
२
धूप सुहानी
दबे पॉँव लिखती
छन्द रूमानी।
३
लाडो सयानी
जोबन दहलीज
कच्चा है पानी।
४
धूप बातूनी
पोर पोर उन्माद
आँखें क्यूँ सूनी ?
५
माँ की चिंता
लाडो है परदेश
पाती, ममता।
६
दुःखो को भूले
आशा का मधुबन
उमंगे झूले।
७
प्रीत पुरानी
सूखे गुलाब बाँचे
प्रेम कहानी।
८
छेड़ो न तार
रचती सरगम
हिय झंकार।
९
प्रेम कलियाँ
बारिश में भीगी है
सुधि गलियाँ।
१०
आई जबानी
छूटा है बचपन
बद गुमानी।
-- शशि पुरवार
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-07-2016) को "धरती पर हरियाली छाई" (चर्चा अंक-2405) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
नन्हीं कलियों से उद्गार
ReplyDeleteलिये आकार / मन भाव आपके / छंद जापानी।
ReplyDeleteस्वदेशी भाव / हाइकू का तराजू / शशि का ठेला।
मुफ़्त सामान / लापता उपभोक्ता / है ना कमाल !
बहुत-बहुत साधुवाव सुन्दर हाइकू के लिए।
* साधुवाद
Deleteसुन्दर हाइकु
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकू हैं सभी ... विविध विषयों को बयान करते ...
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