गली गली में घूम रही है
मस्तानों की टोली
नीले, पीले, रंग हठीले
आओ खेलें होली
दरवाजे पर आँख गड़ी है
हाथों में गुब्बारे
सबरे खेलें आँख मिचौली
सबरे खेलें आँख मिचौली
मस्ती के फ़ब्बारे
भेद भाव सब भूल गए
बिखरी हँसी ठिठोली
नीले, पीले, रंग हठीले
आओ खेलें होली।
सखा -सहेली मिलकर बैठे
गीत फाग के गाएं
देवर- भाभी, जीजा - साली
स्नेह रंग बरसाएं
सजन उड़ाए, रंग गुलाबी
रंगी प्रिय की चोली
नीले, पीले, रंग हठीले
आओ खेलें होली।
भाँति भाँति के पकवानों की
खुशबु ने भरमाया
बिना बात की किलकारी ने
भंग का रंग, बरसाया
फागुन के रंगों में डूबे
भीग रहे हमजोली
नीले, पीले, रंग हठीले
आओ खेलें होली
शशि पुरवार
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 13 मार्च 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर। होली की शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 16-03-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2606 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteहोली को समर्पित बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्तुति। बेहद पसंद आई। होली की आपको ढेर सारी शुभकामनाएं।
ReplyDelete