आँधी
तूफानों से लड़कर
हिम्मत
कभी न हारा
कड़ी
धूप में तपकर निखरा
शीशम रूप तुम्हारा
अजर
अमर है इसकी काया
गुण सारे अनमोल
मूरख मानव इसे काटकर
मेट रहा भूगोल
पात
पात से डाल डाल तक
शीशम
सबसे न्यारा
आँधी
तूफानों से लड़कर
हिम्मत कभी न हारा।
हिम्मत कभी न हारा।
धरती
का यह लाल अनोखा
उर्वर
करता आँचल
लकड़ी
का फर्नीचर घर में
सजा रहें है हर पल
जेठ
दुपहरी शीतल छाया
शीशम
बना सहारा
आँधी
तूफानों से लड़कर
हिम्मत
कभी न हारा।
सदा
समय के साथ खड़ी थी
पत्ती
औ शाखाएं
रोग
निवारक गुण हैं इसमें
सत, अवसाद
भगाएं
कुदरत का वरदान बना है
शीशम प्राण फुहारा
आँधी
तूफानों से लड़कर
हिम्मत
कभी न हारा।
वृक्ष
संचित जल से ही मानव
अपनी
प्यास बुझाता
प्राण
वायु की,
धन
दौलत का
खुद
ही भक्षक बन जाता
हरियाली
की अनमोल धरोहर
शीशम
करे इशारा
आँधी
तूफानों से लड़कर
हिम्मत
कभी न हारा।
आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 11 मई 2019 को साझा की गई है......... मुखरित मौन पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 09.09.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3330 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/05/2019 की बुलेटिन, " पैरंट्स टीचर मीटिंग - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteआवश्यक सूचना :
ReplyDeleteसभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html
सुन्दर रचना
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