श्वेत
चाँदनी पंख पसारे
उतरी ज्यों उपवन में
पुष्प कुटज के जीवट लगते
चटके सुन्दर, वन में
उतरी ज्यों उपवन में
पुष्प कुटज के जीवट लगते
चटके सुन्दर, वन में
श्वेत
श्याम सा रूप सलोना
फूल सुगन्धित काया
काला कड़वा नीम चढ़ा है
ग्राही शीतल माया
फूल सुगन्धित काया
काला कड़वा नीम चढ़ा है
ग्राही शीतल माया
छाल
जड़ें और बीज औषिधि
व्याधि हरे जीवन में
पुष्प कुटज के जीवट लगते
चटके सुन्दर, वन में
व्याधि हरे जीवन में
पुष्प कुटज के जीवट लगते
चटके सुन्दर, वन में
बियावन
जंगल के साथी
पर्वत तक छितराये
आग उगलती जेठ धूप में
खिलकर जश्न मनाये
पर्वत तक छितराये
आग उगलती जेठ धूप में
खिलकर जश्न मनाये
चटके
सुन्दर,
वन
में
छोटा
द्रुम फूलों से लकदक
अवमानित सा रहता
पाषाणों का वक्ष चीरकर
रस का झरना बहता
अवमानित सा रहता
पाषाणों का वक्ष चीरकर
रस का झरना बहता
चट्टानों
को चीर बनाते
ये शिवलोक विजन में
पुष्प कुटज के जीवट लगते
चटके सुन्दर, वन में
ये शिवलोक विजन में
पुष्प कुटज के जीवट लगते
चटके सुन्दर, वन में
शशि
पुरवार
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-07-2019) को "गर्म चाय का प्याला आया" (चर्चा अंक- 3412) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 30 जुलाई 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरती से लिखी गई इस रचना हेतु साधुवाद ।
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