अनेक है बोली ,
अनेक है नाम ,
यही तो है ,
हिंदुस्तान की पहचान .
इस हिंदुस्तान का परचम ,
लहराने के लिए ,कई वीरो ने है अपना ,
सर कलम किया .
गर्व होता है ,
हिन्दुस्तानी होने पर , जहाँ
अनेक भाषा के साथ ,
प्यार ने भी है जन्म लिया .
भाषाओ की जब बात उठे तो,
" हिंदी " हिंदुस्तान की " राष्ट्रभाषा " है
सबसे प्यारी , सबसे न्यारी ,
दिल के एहसास को छूने वाली ,
हिंदी हमारी " मातृभाषा " है .
रस में घुल जाते है शब्द ,
जब हिंदी का है प्रयोग किया.
" जन-गन-मन " और " वन्दे-मातरम " ने ,
फक्र से दुनियां में ,
हमारा नाम रौशन किया .
पर व्यथा है इसकी एक ऐसी , कि
हिंदी राष्ट्र- भाषा होने के बाबत ,
राष्ट्र- कार्य में अंग्रेजी का प्रयोग हुआ .
रस मे घुली इस प्यारी
हिंदी भाषा पे ,
ये कैसा है जुल्म हुआ .
इधर - उधर जिसे भी देखो
अंग्रेजी के सुर लगाता है.......!
हिंदी को तो हाय हमारी , आज
बस , इस इंगरेजी ने ही मार डाला है..
रस की तरह पीकर
इन शब्दो को
हिंदी का प्रयोग करो ,
मातृभाषा है यह हमारी
अब तो इसका सम्मान करो .
" जय हिंद , जय भारत "
:- शशि पुरवार