कांच से भी ज्यादा ,
कोमल होते है ये रिश्ते.
धोखे से लगे एक कंकड़ से भी
चटक कर उभर आते है निशान .
रिश्ता कोई भी हो ,
अलग - अलग है उसके नाम .
हर रिश्ते में होती है एक ,
गरिमा और उसकी पहचान .
प्यार से गर सीचो तो
खिलते है फूल .
कांटे गर बोये तो
रास्ते हो जायेंगे दूर .
बंद मुट्ठी जहाँ होती है
एकता की पहचान .
खुले हाथ छोड़ जाते है
सिर्फ पंजो के निशान.
रिश्तो की रस्सा - कस्सी में
जहाँ चटक जाती है दीवारे ,
वही ढह जाता है मकान .
नाजुकता के कांच से बने
इन रिश्तो को
जरा प्यार से संभालो , नहीं तो
चारो तरफ सिर्फ ,
प्यार से गर सीचो तो
ReplyDeleteखिलते है फूल
कांटे गर बोये तो
रास्ते हो जायेंगे दूर
बहुत बड़ी सत्यता को अपने में समेटे हुए हैं आपकी यह रचना.....
कभी कभार यहाँ भी झांक ले और अपना समर्थन यहाँ भी करें तो बहुत ख़ुशी होगी....
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN
Bahut sundar and I love these lines हर रिश्ते में होती है एक ,गरिमा और उसकी पहचान .
ReplyDeletebeautifully expressed.
ReplyDeletedhanyavad nilkamal ji
ReplyDeletethanks saru . i too love this line . its very important in every relation .
ReplyDeletethanks kunwar ji
ReplyDeletebeautiful lines di... n important too..
ReplyDeletethanks surbhi .....
ReplyDeleteya its very important too.
nice to see you .
बहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद