मौसम सुहाना
श्रावण का बहाना
सावनी तीज में
रिमझिम रिमझिम
सलोनो पे
नेह बरसते.
चंचल बचपन
रूसना - मनाना
लड़ना - झगड़ना
खेलते - हँसते ,
मृदुल मानस
पटल पे
अंकित मधुर
स्नेह के
पक्के रिश्ते .
बदली बेला की
परिपाटी
किया सोलह श्रृंगार
जवानो के संग
बहना भी तैयार ,
ह्रदय में सरगर्मी
मन में झंकार
उबलता लहू
मर मिटने को बेताब
गर्व से फूली छाती
नूर नैनो में भरते .
निमित्त भाव
मधुर बेला में
सुशोभित
तिलक ललाट
पाणी मूल पे रक्षा सूत्र
अधरों पे विजयगान
अग्रज तुम्हारे खंधो पे
है वतन का मान
गर्मजोशी भरे क्षण
करते सरहद पे विदा
पर नयनो से
मोती न झरते .
एक नयी पहल
संरक्षित हो
हरित चादर
बांध तरुवर को तागा
जेठ से किया वादा
खिलेगी सलोनी धरा
बरसेंगे फूल ,होगा
अवनि का उपहार
कर श्रावण का बहाना
इन्द्र भी झमाझम बरसते .
सुखमय पल
जीवन भर
होती मधुर यादें
रक्षाबंधन की सौगात
स्नेह और मिलन
का पर्व
वचन का पालन
वादों का सम्मान
रेशमी डोर से बंधे
ये रिश्ते खूब फलते .
---शशि पुरवार
श्रावण का बहाना
सावनी तीज में
रिमझिम रिमझिम
सलोनो पे
नेह बरसते.
चंचल बचपन
रूसना - मनाना
लड़ना - झगड़ना
खेलते - हँसते ,
मृदुल मानस
पटल पे
अंकित मधुर
स्नेह के
पक्के रिश्ते .
बदली बेला की
परिपाटी
किया सोलह श्रृंगार
जवानो के संग
बहना भी तैयार ,
ह्रदय में सरगर्मी
मन में झंकार
उबलता लहू
मर मिटने को बेताब
गर्व से फूली छाती
नूर नैनो में भरते .
निमित्त भाव
मधुर बेला में
सुशोभित
तिलक ललाट
पाणी मूल पे रक्षा सूत्र
अधरों पे विजयगान
अग्रज तुम्हारे खंधो पे
है वतन का मान
गर्मजोशी भरे क्षण
करते सरहद पे विदा
पर नयनो से
मोती न झरते .
एक नयी पहल
संरक्षित हो
हरित चादर
बांध तरुवर को तागा
जेठ से किया वादा
खिलेगी सलोनी धरा
बरसेंगे फूल ,होगा
अवनि का उपहार
कर श्रावण का बहाना
इन्द्र भी झमाझम बरसते .
सुखमय पल
जीवन भर
होती मधुर यादें
रक्षाबंधन की सौगात
स्नेह और मिलन
का पर्व
वचन का पालन
वादों का सम्मान
रेशमी डोर से बंधे
ये रिश्ते खूब फलते .
---शशि पुरवार