दिल के कुछ अरमान
दिल में ही रह जाते है ...!
कुछ अजन्मे , अनछुए ख्वाब
विचरते है कई बार
नम हुए नयन ,
दिल में उठी एक चुभन
ख्वाहिशे हुई क्लांत
खामोश हुई जुबान
आरजूएं हुई है खफा
मिली ये कैसी सजा
गम पीकर भी मुस्कुराते है
जिंदगी के साथ कदम मिलते है ...!
दिल के कुछ अरमान दिल में ही ........!
गुजरते वक्त के साथ
धूमिल नहीं होते ख्वाब
आरजूएं कभी नहीं मरती
इन अजन्मे ख्वाबो की बस्ती
दिल के किसी कोने में है बस्ती ,
वक्त के थपेड़े भी , नहीं
बना पाते उनकी ख्वाबगाह
अनछुए से , सीप के मोती ,
और गुलशन के फूलों ,
की तरह सदैव महकते है
दिल के कुछ अरमान .....!
अजन्मी चाहतें , कुछ ख्वाब
दिल में दफ़न होकर भी ,
सदैव दिल में जन्म लेते है
हकीकत का रूप मिले या न मिले
दिल में सदैव बसते है .
दिल के कुछ अरमान
दिल में ही रह जाते है ...........!
: -- शशि पुरवार