तुम ही तुम हो मेरे मन
मंदिर में,
खुशबु की तरह ...!
है बंद मगर ,
देख रही आँखे .
अपने प्यार का,
सजदा कर रही आँखें .
नजर जिधर उठे ,
तुम्हीं सामने हो ,
बंद ही नहीं ,
मेरी खुली नजरो
में भी तुम ही हो .!
मोहब्बत बन गयी है अब
दिल का साज .
दिल की हर धड़कन पे है
तुम्हारी आवाज .
तुम्हारी आँखो में देखा है
छलकता प्यार .
तुम्हें हर वक्त महसूस किया है
आपने पास ......!
तुम ही तुम हो ....!
:---शशि पुरवार