महंगाई की ,
मार तो देखो
और इन नेताओ की ,
चाल तो देखो .
इन्हें जीवन के कडवे ,
"सच का आइना " .
चाल तो देखो .
कान तो बंद है ,
खुली है आँखे
फिर भी नजर नहीं आ रहा , खुली है आँखे
इन्हें जीवन के कडवे ,
"सच का आइना " .
इसी तरह के झंझावत में ,
गुजर रही है,
कई जिन्दगानिया.
गुजर रही है,
कई जिन्दगानिया.
वस्त्र नहीं है,
तन ढकने को ,
तन ढकने को ,
छत नहीं है ,
सिर छुपाने को, और
अन्न नहीं है खाने को.
फिर भी किसी तरह ,
सड़क किनारे
फिर भी किसी तरह ,
सड़क किनारे
जी रही है ,
ये मासूम जवानिया .
महंगाई का दानव ,
छल रहा ,
ये मासूम जवानिया .
महंगाई का दानव ,
छल रहा ,
काला धन भर रहा,
कोई तो , इनका
संहार करो .
भ्रष्टाचार रुपी इस
रावन का ,
मिल कर
दहन करो .
:- शशि पुरवार
यदि हर इन्सान प्रण ले कि भ्रष्टाचार का दहन करना है , तो ये दानव स्वतः ही दम तोड़ देगा ......!