तांका---------------
१ आये अकेले
दुनिया के झमेले
जाना है पार ,
जिंदगी की किताब
नयी है हर बार .
२ ढलती उम्र
शिथिल है पथिक
अकेलापन ,
जूझता है जीवन
स्वयं के कर्मो संग .
३ पैसे का नशा
मस्तक पे है चढ़ा
सोई चेतना ,
नजर का है धोखा
वक्त जब बदला .
४ यादो के पल
झिलमिलाता कल
महकता है ,
दिलो के अरमान
बसा है बागवान .
५ तेज रफ़्तार
दूर है संगी -साथी
न परिवार ,
जूनून है सवार
मृगतृष्णा की प्यास .
६ बालियो संग
मचलता यौवन
ठिठकता सा ,
प्राकृतिक सौन्दर्य
लहलहाता वन .
हयुक ------------------
१ नाजुक धागे
मजबूत बंधन
गठबंधन .
२ तीखी चुभन
सूखे गुलाब संग
दीवानापन .
३ सर्द है यादे
शूल बनी तन्हाई
हरे नासूर .
४ प्यासा है मन
साहित्य की अगन
ज्ञानपिपासा .
५ कलम करे
रचना का सृजन
मनभावन .
६ अभिव्यक्ति की
चरम अनुभूति
है स्पंदन .
:-------- शशि पुरवार