१
जल जीवन
प्रकृति औ मानव
अटूट रिश्ता
२
जगजननी
धरती की पुकार
वृक्षारोपण
३
मानुष काटे
धरा का हर अंग
मिटते गाँव .
४
पहाड़ो तक
पंहुचा प्रदूषण
प्रलयंकारी
५
केदारनाथ
बेबस जगन्नाथ
मानवी भूल
६
काले धुँए से
चाँद पर चरण
काला गरल .
७
जलजले से
विक्षिप्त है पहाड़
मौन रुदन
८
कम्पित धरा
विषैली पोलिथिन
मनुज फेकें
९
सिंधु गरजे
विध्वंश के निशान
अस्तित्व मिटा .
१०
अप्रतिम है
प्रकृति का सौन्दर्य
चिटके गुल .
-------- शशि पुरवार
जल जीवन
प्रकृति औ मानव
अटूट रिश्ता
२
जगजननी
धरती की पुकार
वृक्षारोपण
३
मानुष काटे
धरा का हर अंग
मिटते गाँव .
४
पहाड़ो तक
पंहुचा प्रदूषण
प्रलयंकारी
५
केदारनाथ
बेबस जगन्नाथ
मानवी भूल
६
काले धुँए से
चाँद पर चरण
काला गरल .
७
जलजले से
विक्षिप्त है पहाड़
मौन रुदन
८
कम्पित धरा
विषैली पोलिथिन
मनुज फेकें
९
सिंधु गरजे
विध्वंश के निशान
अस्तित्व मिटा .
१०
अप्रतिम है
प्रकृति का सौन्दर्य
चिटके गुल .
-------- शशि पुरवार