प्रकृति ने दिया है अपना जबाब ,
प्रकृति की
नैसर्गिक चित्रकारी पर
मानव ने खींच दी है
विनाशकारी लकीरें,
सूखने लगे है जलप्रताप, नदियाँ
फिर
एक जलजला सा
समुद्र की गहराईयों में
और प्रलय का नाग
लीलने लगा
मानव निर्मित कृतियों को.
धीरे धीरे
चित्त्कार उठी धरती
फटने लगे बादल
बदल गए मौसम
बिगड़ गया संतुलन,
ये जीवन, फिर
हम किसे दोष दे ?
प्रकृति को ?
या मानव को ?
जिसने
अपनी
महत्वकांशाओ तले
प्राकृतिक सम्पदा का
विनाश किया।
अंततः
रौद्र रूप धारण करके
प्रकृति ने दिया है
अपना जबाब ,
मानव की
कालगुजारी का,
लोलुपता का,
विध्वंसता का,
जिसका
नशा मानव से
उतरता ही नहीं .
और
प्रकृति उस नशे को
ग्रहण करती नहीं .
--शशि पुरवार
१२ -७ - १ ३
१२ .५ ५ am
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बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या बात
बेहतरीन रचना.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सच कहा आपने शशि जी...बहुत सुन्दर.!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना है @शशि जी हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteमानव की
ReplyDeleteकालगुजारी का,
लोलुपता का,
विध्वंसता का,
जिसका
नशा मानव से
उतरता ही नहीं .
और
प्रकृति उस नशे को
ग्रहण करती नहीं
यही सच है -बढ़िया प्रस्तुति
latest post सुख -दुःख
बहुत उम्दा,सुंदर सृजन,,,वाह !!! क्या बात है
ReplyDeleteRECENT POST : अभी भी आशा है,
बहुत सुंदर, शुभकामनाये
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
दिल चाहता है
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_971.html
bahut sundar
ReplyDeleteएकदम सच बात कही शशिजी । मानव प्रकृति के साथ जो अन्याय कर रहा है उसका बदला मिलेगा ही । बधाई । सस्नेह
ReplyDeleteएकदम सच बात कही शशिजी । मानव प्रकृति के साथ जो अन्याय कर रहा है उसका बदला मिलेगा ही । बधाई । सस्नेह
ReplyDeleteसटीक रचना ...सच भी है
ReplyDeleteबेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (17-07-2013) को में” उफ़ ये बारिश और पुरसूकून जिंदगी ..........बुधवारीय चर्चा १३७५ !! चर्चा मंच पर भी होगी!
सादर...!
प्रकृति ने दे दिया अपना जवाब , इशारे में समझाया बहुत था !
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल गुरुवार (18-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना आभार
ReplyDeleteनवीन लेख
How to keep laptop happy लैपटॉप को खुश कैसे रखें
प्रकृति का नाद स्पष्ट सुनायी पड़ता है।
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