अंधी श्रद्धा से लूटे
बिखरी काली निशा।
सेदोका -
सेदोका -
१
धवल वस्त्र
पहन इठलाये
मन के कारे जीव
मुख में पान
खिसियानी हंसी
अनृत कहे जीभ।
२
भोले चहरे
कातिलाना अंदाज
शब्द गुड की डली
मौकापरस्त
डसते है जीवन
इनसे दूरी भली।
३
साँचा है साथी
हर पल का साथ
कोई बूझ न सका
दिल के राज
विषैला हमराही
विषैला हमराही
आस्तीन का है साँप।
-- शशि पुरवारनमस्कार मित्रो कुछ व्यक्तिगत कारणों से नियमित पोस्ट नहीं कर सकी थी परन्तु अब से नियमित प्रति सोमवार सपने पर प्रकाशन होगा , आप अपना स्नेह और अमूल्य टिप्पणी से हमें कृतार्ध करें। आप सबकी शिकायत भी अब हम दूर कर देंगे , आपसे मिलेंगे आपके ब्लॉग पर -- शुभ मंगलम - शशि पुरवार