Saturday, October 15, 2011

मौत क्यूँ ........ ? जीवन अनमोल है ......!

" जिन्दगी पथ है ,मंजिल की तरफ जाने  का ,
  मौत गीत है , सदा मस्ती में गाने का .
 जिन्दगी नाम है ,तूफान से टकराने का ,
 मौत  नाम  है  आराम  से  सो  जाने  का ."

किसी  शायर  की  ये  चंद  लाइन  कुछ  न  कहते  हुए  भी  बहुत  कुछ  कह  जाती  है . जिन्दगी  के   प्रति हिम्मत  दिलाती  हुई  इन  चंद   पंक्तियो  ने   जिन्दगी   और  मौत  के  अंतर  को  आसानी  से  व्यक्त  कर  दिया है  .  पर  लगता  है  यह  सिर्फ  किताबो  के  बंद  पन्नो  में  ही  उलझ  कर  रह  गयी  है  और  जिन्दगी  की जगह  मौत  का  खेल  होने  लगा  है .........लोगो  का  जिन्दगी  देखने  का  नजरिया  भी  बदलने  लगा  है .
                   हम  अक्सर   समाचार  पत्रो  में  व  मिडिया  द्वारा  मृत्यु   की  खबरे   देखते   सुनते  है ......युवा  हो  या  जवान , उम्रदराज  हो  या  अन्य  , वालीवुड  कलाकार  हो  या  किसान ....आदि  ने  मौत  को  गले  लगाया  है .

          यह  हमारे  देश  का  दुर्भाग्य  है  कि  लोगो  की  नजर  में  जिन्दगी  की   अहमियत  कम  होती  जा  रही  है .  बीते  वर्षों  में   किसानो   की  आत्महत्या  ने   भी  कई   सवाल  खड़े  किये  थे .  मरने  वाला  चाहे साधारण   इन्सान  हो  या  चमकता  सितारा ....... इस   तरह  मौत  को  गले   लगाना   शर्मसार   करता   है .  ऐसे  लोग दूसरो  की  सोच  को  भी   गलत   दिशा  की  तरफ  मोड़  देते  है . हम   अक्सर  पढ़ते  व  सुनते   है  कि   परीक्षा   की  असफलता  , प्रेम   की   नाकामी  , पारिवारिक  कलह  , नौकरी  , तंगहाली , बेरोजगारी , कर्ज  , अवसाद  व  सफल   न   हो   पाना ......... इत्यादि  अनेक  ऐसी   बाते  है   जिसके   चलते   लोग   मौत   को   गले   लगाते   है .  परन्तु   इसके   अलावा  मौत   का  बाकायदा  खेल   भी  होने  लगा  है  , जिसमे समझदार    के   साथ  मासूम  भी   फँस  जाते   है . मौत   के   ऐसे   सौदागर   भी   है   जो   मौत   को   बेच रहे   है ......... आजकल   तो   बम   ब्लास्ट  , मानव   बम   भी   आम   हो   गए   है ..............बस   एक खेल   और   जिंदगी   ख़त्म....  !

  मौत   का   यह   मंजर   दिल  दहला   देने   वाला   होता   है ......मौत   के   इस   खेल   पर   रोक   लगाना  बहुत   जरूरी  है . जिन्दगी   को   दाँव  पर   लगाना   कहाँ   की  समझदारी  है .   इस   तरह   के  लोगों   ने   जिन्दगी  को   एक  मजाक   बना  दिया  है ......... उनके  द्वारा  किया  गया  यह  जघन्य  कार्य .......  वास्तव   में  शर्मसार  व  परिजनों   के   लिए   कष्टदायी  होता है .  जो  भी   लोग   आत्महत्या   जैसा  कदम   उठाते   है   वे   यह   भी   नहीं    सोचते   की   माला  का   एक   मोती   यदि   टूट    जाता  है  तो माला   पहले    जैसी  नही   रहती   है  , उसमे   बिखराव   आ   जाता  है  और  वह  स्थान  कभी  नहीं   भरता .........!

    मौत   को   गले   लगाने   के   पहले   लोग  यह  भी  नहीं  सोचते  कि  उनके  मरने  के  वाद  उनके निकटवर्ती   एवं  परिवार   का   क्या  होगा ........?  वे   खुद   तो   मृत्यु    का   वरण   करते   है  , परन्तु   कई   सारे  प्रश्न   अपने   परिजनो   के   लिए   छोड़   जाते   है .  मरने   वाले   के   साथ   उसका  परिवार  भी  जीते   जी   मर   जाता   है  .  परिवार   का   हर   सदस्य  संदेह  , शक  व  प्रश्नो   के   ऐसे    कठघरे   में खड़ा   हो   जाता   है   कि  उसे  सामान्य   जीवन   जीने   में   भी   कई   वर्ष   लग  जाते   है  .  कई   बार  तो   लोग  इस   सच   से   परेशान   होकर   शहर   भी   बदल   लेते   है   .............   परन्तु    उन   बातो के   निशान   कभी   नहीं  जाते .

            सच   तो   यह   है  कि   वे   ही   लोग  मौत   को  गले   लगाते   है   जो  कायर  होते   है  ,  जिन्हें संघर्ष   से   डर  लगता  है . मरना   कोई   बड़ी   बात   नहीं , मर  तो   कोई   भी   सकता   है .......... परन्तु  असली   साहस   तो   जीने   में   है . सच्चा   एवं   बहादुर   वही   होता   है   जो   जिन्दगी   में   हर   कडवे   व   मीठे   सच   का   सामना   करते    हुए   जिन्दगी   कि   जंग   जीतता   है   .  वह    जीवन   ही   क्या जिसमे   संघर्ष   न   हो   . जीवन   में   कब   क्या   होगा   कोई   नहीं   जानता   ,  आने  वाला   हर   पल   एक   इंतिहान   होता   है   .  जीवन   के   आने   वाले  पलो   को   तो   कोई   नहीं   बता   सकता ......... परन्तु   मरने   के  बाद   तो   जीवन   बदल   जाता  है  .  जीवन   के  कष्टों   से   भागने   या   खेल  - खेल  में   जिन्दगी   को   दावं   पर   लगा   देना   समझदारी   नहीं  .  जो   लोग   जीने   में   यकीं   रखते   है   वे मौत   के  बारे   में   नहीं   सोचते , जीवन   से   नहीं   डरते ..........!
   कहने   का   तात्पर्य   है   कि  इन्सान   कई   बार   अपने   मन   से   मरता   है   पर   फिर   भी  जीना   नहीं  छोड़ता  क्यूंकि  एक   न   एक   दिन  सभी  को मरना  है , तो  फिर  जीवन  से   हार   क्यूँ   मानी   जाए ................?

हर   सुबह   एक  नयी   किरण   लेकर   आती   है   और  जाते   समय  अंधकार  दे  जाती  है , पर  फिर  एक नई   सुबह   का   वादा  करके| उसी   प्रकार  जिंदगी  में  भी  अंधकार   के   बाद   सबेरा  होना  ही   है   तो  क्यूँ   न   उस   सुबह  की  सुनहरी   किरण  के   इंतजार   में   अँधेरे  को  भी   ख़ुशी   से  जिया  जाए .............!
                     हर   तूफान   के  पूर्व   शांति   है ,  हर  पतझड़   के  बाद  बहार   है ,  हर  जीवन   का  अंत मौत  है ......... पर   यदि  जीवन  निडरता  पूर्ण  जिया   जाए   तो   मृत्यु  भी   सुखद   होती  है .
                         यदि    इस   सत्य  को   हम  हमेशा  याद   रखे   तो   जीवन   के   संघर्ष   बहुत  आसान हो   जाते   है   जो   हमेशा   एक - दूसरे   के   लिए   प्रेरणादायी  रहते   है   .  यदि   सभी   यह   प्रण  करे  कि वे   मरने   जैसा   कायरतापूर्ण   कार्य   न   खुद   करेंगे  और   न   किसी   दूसरे   को   करने   देंगे   , तो   आप जो   मानसिक   सुख   पाएंगे  वो  अनमोल   होगा  .   जीवन   एक   सुख - दुःख   के  पहियो   से   बनी   एक ऐसी   गाड़ी   है  जो   हर   डगर  पर  चलती है   और  यह  गाड़ी   हर   किसी   को   नहीं   मिलती  .  जीवन तो   किस्मत   वालों   को   ही   मिलता   है .  तो   फिर   अपने   इस   अनमोल   जीवन   पर   मृत्यु   का ग्रहण   स्वयं  न   लगाये  ,  यह  काम  वक़्त   के  लिए   छोड़   दे . जब     भी   कभी   उदास   हो   तो निराशा  को   दूर   करने   के   लिए   अपने   अच्छे   पलो   को   याद   कर   ले  , जो   जादुई   अमृत   का    काम   करता   है   और   तन  -  मन   में   नया   संचार   एवं   स्फूर्ति  भर   देता है . ऐसे   समय   नयी  सोच के   साथ   नई   शुरुआत   करे  , आने   वाली   सुबह   की   सुनहरी   किरण   कभी   आपके    जीवन   में   भी   प्रकाश    फैलाएगी .
   जीवन  अनमोल   है   उसकी   सुरक्षा  कीजिये ..!

                                                       :  --   शशि - पुरवार
पत्रिका में प्रकाशित .


15 comments:

  1. Suicide
    A man
    Committed suicide
    He did not die
    His attitude died
    Inability to fight the
    Situation
    Face the reality
    Died
    His patience
    His confidence
    Died
    Faith in himself
    Died
    17-09-2011
    1521-92-09-11

    very nicely expressed thoughts,these issues should be regularly taken up,to discourage suicide

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  2. yadi har vyakti yeh sach swikar kar le to jeevan jina bakhubi seekh lega...jeevan jeena ek kala hai ..aur mrityu uski sundar abhivyakti....

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  3. thanks rajendra ji ........
    aapne bhi suder abhivyakti ki hai

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  4. @manjula gupta .............. apko yahan dekhar accha laga mom .you always gives me strength .

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  5. Seriously, life is very precious. Very profound post!

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  6. ज़िंदगी एक गीत है गुनगुनाते जाइए...
    बहुत ही खूबसरती से रचित आपकी रचना...

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  7. ज़िंदगी जिन्दादिली का नाम है ...

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  8. आपकी बात से सहमत हूँ ... कोई कायर ही अपनी जान ले सकता है ... वैसे इंसान की कार्ड होनी चाहिए ... जीवन की कद्र होनी चाहिए ...

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  9. ज़िंदगी जिन्दादिली का नाम है ,वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है, बधाई आपको.

    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/

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  10. दिनांक 23/03/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंदhttps://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
    आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
    आप की प्रतीक्षा रहेगी...

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  11. सत्य कहा जीवन अनमोल और संघर्ष से भरा रोमांचक यात्रा है, हमें एक कुशल यात्री की भाँति इस यात्रा को तय करना चाहिए। उम्दा लेख!

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  12. सार्थक रचना........

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  13. हाँ जीवन का सहीं अर्थ यहीं हैं। जो लोग जीवन को जीवन मानते हैं जो जीवन का समान करते। और हम सभीं को करना चाहिए। मौत को तो एक दिन आना ही हैं।
    http://savanxxx.blogspot.in

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