उसके खोने का है गम
जो न था कभी अपना ,
इस बात का है मुझे एहसास
आज दिल फिर क्यूँ उदास ...?
इसी काबिल था यह शायद
रह जाये अकेले सफ़र में,
अब साया भी न मेरे पास
दिल में फिर भी बची
क्यूँ एक आस.
चंचल मन , तर्क पूर्ण बुद्दि के बीच
हो रहे भयंकर इस अंतरद्वन्द में ,
किसका अनुकरण करूं में
अंतत: हार निश्चित है ,
क्यूँ साथ है ....?
उलझ गयी हूँ इस सोच में
सोचती हूँ कुछ और सोचूँ ,
एक नयी सोच की तलाश है
आज दिल फिर उदास है .
उसके खोने का .............!
:- शशि पुरवार
बहुत ही खूबसूरत कविता।
ReplyDelete------
कल 13/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
First two paragraphs are beautifully worded, the rhyming is so nicely done. It's a perfect poem. Love it!!!
ReplyDeleteSaru
उलझ गयी हूँ इस सोच में
ReplyDeleteसोचती हूँ कुछ और सोचूँ ,
एक नयी सोच की तलाश है
आज दिल फिर उदास है .
बहुत खूब ....
शुभकामनायें आपके लिए !
bhaut hi khubsurat rachna...
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
ReplyDeletebahut pasand aayee.
ReplyDeletesaru thank u so much :)
ReplyDeleteyeshvant ji ,
sagar ji
satish ji
sada ji
आप सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद .आप यहाँ आये ,और रचना पर आपकी समीक्षा दी . स्वागत है
thank u so much mradula ji , aapka swagat hai
ReplyDeleteउसके खोने का है गम
ReplyDeleteजो न था कभी अपना ,
इस बात का है मुझे एहसास
आज दिल फिर क्यूँ उदास ...?
बहुत सुन्दर ....
शब्दों को एक खूबसूरत कविता में पिरोया शशि जी हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteसुन्दर कविता...
ReplyDeleteसादर बधाई...
सुंदर सृजन...
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक सृजन बहुत -बहुत बधाई और करवा चौथ की शुभकामनायें
ReplyDeleteआदरणीय शशि पुरवार जी
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने और टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद ...आशा है आपका यह प्रोत्साहन यूँ ही मिलता रहेगा ....आपकी रचना काबिल - ए - तारीफ है ....शुभकामनायें
sunder kavita
ReplyDeleteआदरणीय शशि पुरवार जी
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत कविता।
जरूरी कार्यो के कारण करीब 15 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,