बड़ी अदा से
पल - पल कुछ ,
कहती है .
बर्फीली वादियों में
सन्नाटे को चीरती ,
ख़ामोशी .
गुलशन की वादियों में ,
फूलो संग ,
लिपटी हुई
ख़ामोशी .
मधुर बेला में ,
गुदगुदाती
ख़ामोशी .
पीड़ा में ,
चीत्कार उठती है
ख़ामोशी .
शब्द गुम
मौन मुखर ,
ऐसे में ,
ख़ामोशी को भी
खूब सताती
ख़ामोशी .
चंचल चितवन ,
या आहत मन
संग खूब
बोलती है
ख़ामोशी .खामोश नजरो से
हाले दिल
बयां कर
अदा से इठलाती है
ख़ामोशी .
:- शशि पुरवार
मौन भी मुखर होते है , ख़ामोशी भी बोलती है , हर समय शब्दों का ताना - बाना नहीं होता , परन्तु कई बार ऐसा होता है कि शब्द गुम हो जाते है और ख़ामोशी का आलम छा जाता है . मौन को पढना और ख़ामोशी को समझना भी एक कला है ........!
शशि पुरवार जी ..!
ReplyDeleteशब्द एक शोर है तमाशा है ..
भावना के सिन्धु में बताशा है
मन की बात होठों से मत कहो
मौन भावना की यही भाषा है
मुझे नहीं पता किसकी रचना है किन्तु अपने स्वर्गीय पिताजी के होठों पर प्राय:मुखरित इन शब्दों को आपकी रचन के लिये सटीक समझता हूं। खामोशी पर संभवत: यही खामोश स्वर मेरी टिप्पणी है - बधाई सुंदर रचना के लिये
sri kant mishra ji aapka shukriya . aapne yahan aaker samiksha di . anubhuti ke mitro ko yahan dekhna sukhad anubhuti hai .dhanyavad
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत कविता।
ReplyDeleteसादर
जितने खूबसूरत शब्द हैं उनते ही उन्नत भावों से सजाया है. शब्द नहीं हैं मेरे पास बयान करने के लिए
ReplyDeleteyashvant ji , sanjay ji aapka bahut - bahut dhanyavad ....!
ReplyDeleteNice one Shashi ji...Silence speaks louder than thousands words...
ReplyDeleteWith best wishes of Festive season..
KHAAMOSHEE ,
ReplyDeleteKHAAMOSHEE SE SAB KAHTEE HAI
JEEVAN KE HAR ROOP KO UJGAAR KARTEE HAI
BAHUT KHOOB SOORAT SHABS AUR VICHAAR
शब्द गुम
ReplyDeleteमौन मुखर ,
ऐसे में ,
ख़ामोशी को भी
खूब सताती
ख़ामोशी .
.....बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति..सच है खामोशी की भी अपनी ज़ुबान होती है...बधाई
खामोशी वार्तालाप की महान कला है,बहुत ही सुंदर रचना...
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत कविता शशि जी आपको बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाएं |मोब० न० 09415898913
ReplyDeletebahut umdaa rachna.
ReplyDeletekhamoshi ki zuban ban kr aapne shdon ko khush kar diya hai sunder kavita .
ReplyDeleteकई बार तो खामोशी वाणी से भी ज्यादा मुखर होती है।
ReplyDeleteमननीय कविता।
शशि जी आपकी कविता बहुत ही खूबसूरत भाव के साथ लिखी गयी है । आपके पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा । धन्यवाद । आपको बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाएं |
ReplyDeleterahul ji ,
ReplyDeleterajendra ji
jai krishn rai ji ,
indu ji
rajesh kumari ji ,
mahendra ji
prem sarovar ji ..... आप सभी का बहुत -बहुत धन्यवाद , आप सभी की समीक्षा मेरे लिए अनमोल है . आप सभी ने अपना अनमोल समय दिया . धन्यवाद
mon me ful bhi hai
ReplyDeletemon me shul bhi hai ...
bhut sunder ..shashi......
बहुत ही खामोशी और सुंदर शब्दों के साथ सजी रचना,बेमिशाल पोस्ट....
ReplyDeleteVery nice write up on khamoshi,,,i had also wrote on the theme silence,,
ReplyDeletehttp://ruchichunk.blogspot.com/2011/07/there-are-times-it-seems-easy-to-die.html
Silence speaks much more than words can, lovely poem Shashi...
ReplyDeleteचंचल चितवन ,
ReplyDeleteया आहत मन
संग खूब
बोलती है
ख़ामोशी
Bahut Sunder....
खामोश नजरो से
ReplyDeleteहाले दिल
बयां कर.bhut sundar pankti.
sanjay ji ,
ReplyDeletedeerendra ji
nisha ji
ruchi ji
monika ji aapka swagat hai blog par , samaye dene ke liye dhanyavad . aapko kavita pasand aayi aur aapne samiksha di , shukriya
saru thank you so much :)
ख़ामोशी ,
ReplyDeleteबड़ी अदा से
पल - पल कुछ ,
कहती है .
main to khamoshi ki ada me atak gai hun
shukriya rashmi ji
ReplyDeleteख़ामोशी को भी खूब सताती है ख़ामोशी ......
ReplyDeleteखामोश रहे तुम भी , खामोश रहे हम भी
दोनों की ये ख़ामोशी दूरियों की वजह बन गई .....
खामोशी " शब्द को खूब समझा शशि जी और इस सुन्दर रचना के लिए आपको बधाई !
ReplyDeleteअति उत्तम रचना
ReplyDeleteखामोशी को शब्द दिए हैं आपने ... लाजवाब ...
ReplyDeleteआपने ख़ामोशी के ऊपर जो भी भाव उकेरे है वो सचमुच
ReplyDeleteसत्य है ! हमने तो कभी -कभी किसी बातों पे खामोश रहके बहुत संतुष्टि पाया है और मुझे वो भी मिल गया जो बोलने
से नहीं मिल पता!
बहुत सुन्दर रचना के लिये बधाई !
मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है ...
shshi ji namskaar,sundr sabdo kii ladii
ReplyDeletebehad sundar...
ReplyDelete
ReplyDelete♥
प्रिय शशि पुरवार जी
सस्नेहाभिवादन !
सच कहा आपने मौन को पढना और ख़ामोशी को समझना भी एक कला है ........!
और , इस कला में आप माहिर हैं :)
चंचल चितवन ,
या आहत मन
संग खूब
बोलती है
ख़ामोशी
अच्छी भावाभिव्यक्ति के लिए साधुवाद !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
ख़ामोशी कुछ क्या बहुत कुछ बोलती है कभी शब्दों से ज्यादा भी.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई.
मैं आपको इतनी सुन्दर रचना के लिए ख़ामोशी से बधाई दे रही हूँ.आप समझ लें.
ReplyDeleteख़ामोशी बोलती है । सुंदर रचना । बधाई ।
ReplyDeleteशशि जी धन्यबाद मेरे ब्लॉग "Perception" पर आने और ज्वाइन करने के लिये. कृपया मेरे दुसरे ब्लॉग "रचना रवीन्द्र" पर भी आयें और अपने विचारों से इसी तरह अवगत करें.
ReplyDeleteधन्यबाद.
मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया.... आपने भी मन के विचारों में खामोशी कि खूबसूरती को बड़ी ही खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया है बहुत खूबसूरता कविता वाकई खामोशी भी बोलती है।
ReplyDeleteमौन को पढना और ख़ामोशी को समझना भी एक कला है ........!
ReplyDeleteekdam sahi kaha.....
बहुत ही खूबसूरत कविता । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । सादर।
ReplyDeleteख़ामोशी का बयां...
ReplyDeleteसुन्दर!
khamoshi ki sundarta ka vivrad karna bahut mushkil hai, par ehsaas bahut sukhad.
ReplyDeleteutkarsh
www.utkarsh-meyar.blogspot.com