जिन्हें मै पा नहीं सकूं . तू मत दिखा मुझे वो नज़ारे
ऐ चाँद ,
ऐ चाँद ,
तू मत कर वो इशारे
जिन्हें मै समझ न सकूं .
ऐ चाँद ,
तू मत समा मेरे दिल में इतना
कि तुझे मै छिपा न सकूं .
ऐ चाँद ,
तू मत दूर जा मुझसे ,
कि तेरे बिन रह भी न सकूं .
ऐ मेरे चाँद ,
डूब जाने दे मुझे तेरे प्यार में
इतना कि खुद को भी मै याद न आ सकूं .
ऐ चाँद ,
पिला तेरे प्यार का जाम इतना कि
कभी होश में ही ना आ सकूं .......!
: शशि पुरवार
ये कविता मैंने चांदनी रात में चाँद को देख कर लिखी थी , यह कविता समाचार पत्रों व कुछ पत्रिकाओ में भी छप चुकी है .