Thursday, November 29, 2012

अब कर दो विदा





अब कर दो विदा


जकड़ी हैं मान्यताएं


थोथले विचार
परंपरा के नाम पर 
आदमी लाचार
बेगारी का फंदा बन
रहा है जी का जंजाल,
ऐसे फरमानों को
अब कर दो विदा .

इर्ष्या के कीड़ों से

कलुषित हुआ मन
बदले की आग में
सुलग रहा है तन
साखर में पगा हुआ है
धूर्त का संसार
ऐसे मेहमानों को
अब कर दो विदा

जब सोया है जमीर ,तो

कैसे उच्च विचार
चील,कौए सा युद्ध है 
छिछोरा आचार
शैवाल सा बढ़ रहा है 
काला व्यापार
ऐसे धनवानों को
अब कर दो विदा

---------शशि पुरवार

Sunday, November 25, 2012

**** नेह की पाती ******



   नेह की पाती 
मै बिटिया को लिखूं
  दिल का हाल 
ममता औ आशीष
 पैगाम लिखूं
सर्वथा  खुश रहे
प्यारी दुलारी
मेरी राजकुमारी
फूलो सी खिले
जीवन भी महके
राहों  में मिले 
मखमली डगर
नर्म बिछोना
बाबुल का अंगना
ख्वाबो की तुम 
उड़ान भी भरना
 दिली तमन्ना  
सुखमय जीवन
सदैव ,पर
दुर्गम यह पथ 
फूल औ शूल
यथार्थ का सफ़र 
पल में धोखा
अपनों से भी रंज 
तूफानों में भी
अडिग हो कदम
जटिल वक़्त  
में फौलादी जिगर 
नारी की जंग
खुद को संभालना 
है  कटु  सत्य
बेदर्द ये  जमाना
परवरिश  
पाषण ह्रदय से
यही  चाहत 
महफूज सफ़र  
नहीं भरोसा
कब तक जीवन
हमारे बाद
सुख भरा संसार 
माता पिता की दुआ .
----------शशि पुरवार 

Tuesday, November 13, 2012

दीप से दीप जलाएं ---------रंगबिरंगी दीपावली ------

गीत ---
1
दीपों की लडिया सजाएँ 
लौ से लौ जलाएं 
आओ खुशियाँ फैलाएं 

द्वार पे रंगोली डले 
असंख दिवली खिले
सुप्त मन , तम में 
दिया औ बाती जले  ,
अंतर्घट की  ज्योत जलाएं
आओ खुशियाँ फैलाएं 

कुटिलता से भरे
शामनी  से  परे 
बांकपन की आग में
तन को स्वाहा  करे ,
दुर्गुणों को  जड़ से मिटाएँ
आओ खुशियाँ फैलाएं

सद्गुणों का चाँद हो
शीतलता  व्याप्त हो 
यतीम ,बेघर ,हिंसा की 
न ऐसी  काली रात हो ,
गली गली चौबारे पे
सज्ञान के दीपक  जलाएं                                                
आओ खुशियाँ फैलाएं .

        ------ शशि पुरवार




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2

गौधुली बेला में
दमकता  दिया
स्नेहिल आबंध 
हर्षित हिया

सोने का कंगन 
चांदी की बिछिया
हीरे जैसे पिया
धडके जिया

विश्वास की बाती 
प्रेम का दिवा 
समर्पण भाव
अर्पण  किया

खील - बताशे
मिठाई, पटाखे
गणेश लक्ष्मी का 
वंदन  किया

घर ,मन दिवाली
पग पग उजेरा
अमावश को भी
रौशन किया .
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3 ---

हाइकु 
रंगों से भरा
सलोना बचपन
फूलपाखरू

रंगबिरंगे
प्रकृति के  नज़ारे
झील किनारे

दीप भी सजे
मोरपंखी रंगों से
लौ इठलाये .

गोधुली बेला
गणेश लक्ष्मी विराजे
शुभ औ लाभ

दिया औ बाती
अटूट है बंधन
तम  का साथी

रंगबिरंगे
बंदनबार सजे
युगसंधि में .

दीपो का पर्व
रौशनी का उत्सव
रैना दमके .

तम गहन
पटाखों की बहार
दीपो उल्लास .

दीपो की लड़ी
मनमोहिनी सखी
बाती  भी जली
घर ,मन दिवाली
पग पग उजेरा
अमावश को भी
रौशन किया .
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1 पहना है अब गहना
हार बिंदी कंगना
दीप सजें  है अंगना 

2 खूब हुई मनुहार 
सजन गए ससुराल                      
दिवाली घर द्वार

3 दिवाली का त्यौहार
पिया से तकरार
मिला हीरो का हार .

4 दीपो की है  बहार 
  खास पिय का प्यार 
 सजाओ बंदनबार 

5 सांझ दीप है जलें
 दिल  वाट पाहे 
अब खुशियाँ आन मिले .
--शशि पुरवार 

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चोका -----

रिश्तों में खास
विश्वास की मिठास
प्रेम की बाती 
रौशनी की बहार
बाटें खुशियाँ
हर दिन त्यौहार
हीरे से ज्यादा
अनमोल है प्यार
 है जमा  पूँजी                     
रिश्तों की सौगात
सजन संग  
बसाया है संसार
नए बंधन
स्नेहिल उपहार
दिलों की प्रीत
अमूल्य पतवार
मन ,उमंग
शीतलता व्याप्त
पल  पल हो
घर मने  दिवाली
हर दिन त्यौहार .
-----------शशि पुरवार 
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दीपक कहे बाती से , दूर हो अंधियारा
सज्ञान की जलती ज्योत , फैलाए उजियारा .............................

सभी मित्रो को सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये , दीपावली  का यह पर्व आप सभी के जीवन में खुशियाँ लेकर आये -----आपका जीवन सदैव खुशियों से परिपूर्ण हो ,-------शशि पुरवार 

समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

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