सपनों
में रंग भरे
सपनो
में रंग भरे
नैना सजल हुये जितने भी जतन करे। २ पहन रहे हैं गहना हार बिंदी कंगन फूल खिले मन, अंगना ३ छेड़ रही है साली जीजा घर आये खुशियों की दीवाली ४ फिर सजनी ने माँगा सोने का गहना साजन बोले ताँगा ५ संध्या में दीप जलें खुशियों के पाहून घर - अँगना ज्योति खिले ६ यह चंदा मेरा है मन को अति भाये तन, रूप चितेरा है ७ सपनो में रंग भरो नैना सजल हुये जितने भी जतन करो। ८ पहन रहे हैं गहना हार बिंदी कंगन फूल खिले मन, अंगना |
९ छेड़ रही है साली जीजा घर आये खुशियों की दीवाली १० फिर सजनी ने माँगा सोने का गहना साजन बोले ताँगा ११ संध्या में दीप जलें खुशियों के पाहून घर - अँगना ज्योति खिले १२ यह चंदा मेरा है मन को अति भाये तन, रूप चितेरा है १३ बच्चों की शैतानी माँ बचपन जीती नयनों झरता पानी १४ माँ ममता की धारा पावन ज्योति जले मिट जाए अँधियारा १५ मन चंदन सा महके ममता का आँचल भोला बचपन चहके |
Showing posts with label माहिया. Show all posts
Showing posts with label माहिया. Show all posts
Monday, June 15, 2020
सपनों में रंग भरे
Monday, October 6, 2014
क्षणिकाएँ - माहिया - माँ
१
माँ तुम हो
शक्तिस्वरूपा
माँ तुम हो
शक्तिस्वरूपा
मेरी भक्ति का संसार
माँ से ही प्रारंभ
यह जीवन
माँ ही उर्जा का संचार
२
नीड बनाने में कितनी
खो गयी थी माँ
उड़ गए
पंछी घोसलों से
पंछी घोसलों से
फिर तन्हा हो गयी है माँ
-- शशि पुरवार
-----------------------
१६ / ९ /१३
माहिया --
१
न्यौछावर करती है
माँ घर में खुशियाँ
खुद चुन चुन भरती है
२
बच्चों की शैतानी
माँ बचपन जीती
नयनों झरता पानी
३
ममता की माँ धारा
पावन ज्योति जले
मिट जाए अँधियारा
४
माँ जैसी बन जाऊँ
छाया हूँ उनकी
कद तक न पहुँच पाऊँ
५
चंदन सा मन महके
ममता का आँचल
खिलता, बचपन चहके।
६
माँ जैसी बन जाऊं
छाया हूँ उनकी
कद तक न पहुंच पाऊं
-- शशि पुरवार
२९ सितंबर २०१४
माँ जैसी बन जाऊं
छाया हूँ उनकी
कद तक न पहुंच पाऊं
माहिया --
१
न्यौछावर करती है
माँ घर में खुशियाँ
खुद चुन चुन भरती है
२
बच्चों की शैतानी
माँ बचपन जीती
नयनों झरता पानी
३
ममता की माँ धारा
पावन ज्योति जले
मिट जाए अँधियारा
४
माँ जैसी बन जाऊँ
छाया हूँ उनकी
कद तक न पहुँच पाऊँ
५
चंदन सा मन महके
ममता का आँचल
खिलता, बचपन चहके।
६
माँ जैसी बन जाऊं
छाया हूँ उनकी
कद तक न पहुंच पाऊं
-- शशि पुरवार
२९ सितंबर २०१४
माँ जैसी बन जाऊं
छाया हूँ उनकी
कद तक न पहुंच पाऊं
Wednesday, August 13, 2014
माहिया -- देशभक्ति
आँखों में कटती
हर सैनिक की रातें .
७
भूलों बिसरी बातें
नव किरणें लायी
शुभमंगल सौगाते
८
साँचे ही करम करो
देश हमारा है
उजियारे रंग भरो।
९
फैली शीतल किरनें
मौसम भी बदले
फिर छंद लगे झरने.
मौसम भी बदले
फिर छंद लगे झरने.
१०
स्वर सारे गुंजित हो
गूंजे जन -गण -मन
भारत सुख रंजित हो.
गूंजे जन -गण -मन
भारत सुख रंजित हो.
११
नव रंग सजाने है
खुशियों के बादल
घर आज बुलाने है
१२
चैन अमन से खेले
बागों की कलियाँ
खुशियों के हो मेले .
१३
जब शयनरत ज़माना
अपनों की खातिर
सैनिक फर्ज निभाना।
---- शशि पुरवार
Monday, March 17, 2014
होली के रंग छंदो के संग ----
१
छन्न पकैया छन्न पकैया, ऋतु बसंत है आयी
फिर कोयल कूके बागों में ,झूम रही अमराई
२
छन्न पकैया छन्न पकैया, उमर हुई है बाली
होली खेलें जीजा - साली, बीबी देती गाली
३
छन्न पकैया छन्न पकैया ,दिन गर्मी के आये
ठंडा मौसम , ठंडा पानी, होली मनवा भाये।
४
छन्न पकैया छन्न पकैया ,होली है मनरंगी
कैसे कैसे नखरे करते ,खेले साथी संगी .
५
छन्न पकैया छन्न पकैया ,नेट बड़ा है पापी
थोडा थोडा लिखने आती , होती आपाधापी।
थोडा थोडा लिखने आती , होती आपाधापी।
६
छन्न पकैया छन्न पकैया ,मजा फाग का आया
दीवानो की टोली घूमे , रंग गुलाल लगाया
७
छन्न पकैया छन्न पकैया ,गाँवो का है दर्जा
पर्चे बाँटे महंगाई ने ,लील रहा है कर्जा
८
छन्न पकैया छन्न पकैया ,गुझिया मन को भायी
भंग मिला कर पकवानो में , होली खूब मनायी
९
छन्न पकैया छन्न पकैया ,रंगा रंग भयी होली
छंदो के रस में भीगी है , सबकी मीठी बोली
छन्न पकैया छन्न पकैया ,मजा फाग का आया
दीवानो की टोली घूमे , रंग गुलाल लगाया
७
छन्न पकैया छन्न पकैया ,गाँवो का है दर्जा
पर्चे बाँटे महंगाई ने ,लील रहा है कर्जा
८
छन्न पकैया छन्न पकैया ,गुझिया मन को भायी
भंग मिला कर पकवानो में , होली खूब मनायी
९
छन्न पकैया छन्न पकैया ,रंगा रंग भयी होली
छंदो के रस में भीगी है , सबकी मीठी बोली
१०
छन्न पकैया छन्न पकैया ,छंदो का क्या कहना
एक है हीरा दूजा मोती, बने कलम का गहना
११
छन्न पकैया छन्न पकैया ,राग हुआ है कैसा
प्रेम रंग की होली खेलो ,दोन टके का पैसा
१२
छन्न पकैया छन्न पकैया ,रंग भरी पिचकारी
बुरा न मानो होली है ,कह ,खेले दुनिया सारी
१३
छन्न पकैया छन्न पकैया , होली खूब मनाये
बीती बाते बिसरा दे ,तो , प्रेम निति अपनाये
१४
छन्न पकैया छन्न पकैया ,दुनिया है सतरंगी
क्या झूठा है क्या सच्चा है, मुखड़े है दो रंगी
१५
छन्न पकैया छन्न पकैया , बजे हाथ से ताली
छेड़े जीजा साली भागे ,मेरी ,आधी घरवाली .
१६
छन्न पकैया छन्न पकैया , सासू जी मुस्कायी
देवर - भाभी होली खेले , सैयां पे बन आयी।
१७
१७
छन्न पकैया छन्न पकैया ,प्यारी प्यारी सखियाँ
दूर दूर से मिलने आय़ी ,करती प्यारी बतियाँ
-- शशि पुरवार
दूर दूर से मिलने आय़ी ,करती प्यारी बतियाँ
-- शशि पुरवार
१६ मार्च २०१४
कुछ माहिया
१
ऐ ,री, सखि तुम आओ
भंग चढ़ी है ऐसी
झूम रहे सजना
यह होली है देसी
३
फिर मुखड़ा लाल हुआ
नयनों में सजना
मन आज गुलाल हुआ।
४
पकवानो में होड़ लगी
गुझिया ही जीती
शीरे में खूब पगी
५
मनभावन यह होली
दो पल में भूले
वैरी अपनी बोली
६
रंग भरी पिचकारी
छेड़ रहे सजना
सजनी , आज नहीं हारी।
मित्रो हम जरा देर से आये। … :) पर धमाल हो जाये ,समस्त ब्लोगर परिवार को होली की हार्दिक रंग भरी शुभकामनायें। होली के सभी रंग आपके जीवन में भी उमंग भर दे -- हार्दिक शुभकामनायो सहित -- शशि पुरवार
Sunday, January 26, 2014
भारत सुख रंजित हो
माँ की बरबादी थी .
५ ये प्रेम भरी बोली
वैरी क्या जाने
खेले खूनी होली .
६
सरहद पे रहते है
दुख उनका पूछो
वो क्या क्या सहते है
७ घर की याद सताती
८
बतलाऊँ कैसे मैं
सबकी चिंता है
घर आऊँ कैसे मैं?
९
हैं घात भरी रातें
बैरी करते हैं
गोली से बरसातें।
सबकी चिंता है
घर आऊँ कैसे मैं?
९
हैं घात भरी रातें
बैरी करते हैं
गोली से बरसातें।
१०
पीर हुई गहरी सी
सैनिक घायल है
पीर हुई गहरी सी
सैनिक घायल है
ये सरहद ठहरी सी।
११
आजादी मन भाये
कितनी बहनों के
पति लौट नहीं पाये।
आजादी मन भाये
कितनी बहनों के
पति लौट नहीं पाये।
१२
है शयनरत ज़माना
सुरक्षा की खातिर
सैनिक फर्ज निभाना।
१३
एकता से सब मोड़ो
राष्ट्र की धारा
आतंकी को तोड़ो .
१४
स्वर सारे गुंजित हो
गूंजे जन -गन - मन
भारत सुख रंजित हो
-- शशि पुरवार
आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ -- जय हिन्द जय भारत--
Sunday, January 19, 2014
माहिया - बदली ना बरसी
१
धरती भी तपती है
बदली ना बरसी
वो छिन छिन मरती है .
२
सपनो में रंग भरो
नैना सजल हुये
जितने भी जतन करो।
२
यह चंदा मेरा है
ज्यूँ सूरज निकला
लाली ने आ घेरा है।
३
माँ जैसी बन जाऊं
छाया हूँ उनकी
कद तक पहुच न पाऊं।
४
सब भूल रहे बतियाँ
समय नहीं मिलता
कैसे बीती रतियाँ
५
फिर डाली ने पहने
रंग भरे नाजुक
ये फूलो के गहने .
६
डाली डाली महकी
भौरों की गुंजन
क्यों चिड़िया ना चहकी।
--------- शशि पुरवार१/१० / २०१३
Saturday, November 2, 2013
जगमग दीपावली के कुछ यह भी रंग ......................... !
माहिया -
1
फिर आयी दीवाली
झिलमिल दीप जले
झूम रही हर डाली .
2
कण- कण है में बिखरी
दीपों की आभा
यह रजनी भी निखरी .
3
रंगोली द्वार खिली
राह तके लड़ियाँ
घर खुशियाँ आन मिली।
4
गूँज रही किलकारी
झूम रही बगिया
ममता भी बलिहारी
हाइकु --
1
जीवन साथी
सुख -दुःख , लड़ियाँ
दिया औ बाती।
2
दीप भी जले
खुशियाँ घर आईं
संग तुम्हारे ।
3
आशा की ज्योत
हर घर रौशन
नेह दीपक ।
4
झूमे रौशनी
धरती पे उतरी
दीप चाँदनी।
५
जलती बाती
अँधेरों से लड़ता
रौशन दिया।
-- सेदोका
1
यादों के दीप
फिर हिय में जले
सलोने उजियारे ,
भीगी चाँदनी
खिल उठा चाँद
मन के अंधियारे ।
2
अखंड दीप
जीवन ,पथ पर
हाँ ,माँ ने जलाया,
संस्कारों की लौ
महकता आशीष
तिमिर को मिटाया ।
३१ /१० /१३
:-- शशि पुरवार
सभी मित्रो , ब्लोगर परिवार को दीपावली कि हार्दिक शुभकामनाये , जीवन में खुशियां सदैव जगमगाती रहे। अपने टिपणी से आपके आगमन कि सुचना दे , जिससे जल्दी से। ............. दोस्तों समय मिलते ही आपसे आपके ब्लॉग पर मिलने जरुर आउंगी , यह वादा है --- स्नेह बनाये रखें
! शुभ दीपवली !
-- शशि पुरवार
Saturday, October 26, 2013
दिलकश चाँद खिला। ……… माहिया
Friday, August 30, 2013
श्री कृष्ण -- छेड़े गोप वधू
१
श्री कृष्ण
नाम है
आनंद की अनुभूति का,
प्रेम के प्रतिक का ,
ज्ञान के सागर का
और जीवन की
पूर्णता का।
२
श्री कृष्ण ने
गीता में दिया है
निति नियमो का ज्ञान
जीवन को जीने का सार ,
पर इस युग में तो
मानव ने
राहों में रोप दिए है
क्षुद्रता के
कंटीले तार।
३
मोहन ने
शंख बजाकर
उद्घोष किया था
करो दुष्टों का नाश.
आज कलयुग में
अधमता के
काले बादलों से
भरा हुआ है आकाश।
४
लक्ष्य
निर्धारित करता है
आने वाले कल की
दिशाएँ
और
नए संसार का
अभिकल्प।
५
श्री कृष्ण
जन्मोउत्सव
ह्रदय में
उन्माद की आंधी
श्याम बनने को होड़ में
बाल गोपाल
फोड़ रहे है
दही हांड़ी।
६
फूलों से सजा
हिंडोला
दूध - दही की
बहती गंगा
विविध पकवान
पंचामृत का भोग
भक्ति का बहता सागर
मन हो जाये चंगा।
24.8.13 १
-------------
1
श्याम ने दिया
प्रेम का गूढ़ अर्थ
भक्तों ने जिया।
२
सांसों में बसी
भक्ति - भाव की धारा
ज्ञान लौ जली
३
नियम सारे
ज्ञान का सागर है
मोहन प्यारे।
४
माहिया --
- शशि पुरवार
श्री कृष्ण
नाम है
आनंद की अनुभूति का,
प्रेम के प्रतिक का ,
ज्ञान के सागर का
और जीवन की
पूर्णता का।
२
श्री कृष्ण ने
गीता में दिया है
निति नियमो का ज्ञान
जीवन को जीने का सार ,
पर इस युग में तो
मानव ने
राहों में रोप दिए है
क्षुद्रता के
कंटीले तार।
३
मोहन ने
शंख बजाकर
उद्घोष किया था
करो दुष्टों का नाश.
आज कलयुग में
अधमता के
काले बादलों से
भरा हुआ है आकाश।
४
लक्ष्य
निर्धारित करता है
आने वाले कल की
दिशाएँ
और
नए संसार का
अभिकल्प।
५
श्री कृष्ण
जन्मोउत्सव
ह्रदय में
उन्माद की आंधी
श्याम बनने को होड़ में
बाल गोपाल
फोड़ रहे है
दही हांड़ी।
६
फूलों से सजा
हिंडोला
दूध - दही की
बहती गंगा
विविध पकवान
पंचामृत का भोग
भक्ति का बहता सागर
मन हो जाये चंगा।
24.8.13 १
-------------
1
श्याम ने दिया
प्रेम का गूढ़ अर्थ
भक्तों ने जिया।
२
सांसों में बसी
भक्ति - भाव की धारा
ज्ञान लौ जली
३
नियम सारे
ज्ञान का सागर है
मोहन प्यारे।
४
हर्षोल्लास
भक्ति भाव की गंगा
गोकुल खास
५
बाल गोपाल
दही हांडी की धूम
हर चौराहे।माहिया --
१
हाँ ,शीश मुकुट सोहे
हाँ ,शीश मुकुट सोहे
अधरों पे बंशी
मन को कान्हा मोहे।
२
राधा लागे है प्यारी
छेड़े गोप वधू
रास रचे है गिरधारी
25 .8 13 - शशि पुरवार
Thursday, August 1, 2013
यूँ बदल गए मौसम।
1
क्यूँ तुम खामोश रहे
पहले कौन कहे
दोनों ही तड़प सहें ।
2
आसान नहीं राहें
पग- पग पे धोखा
थामी तेरी बाहें ।
3
सतरंगी यह जीवन
राही चलता जा
बहुरंगी तेरा मन ।
4
साँचे ही करम करो
छल करना छोड़ो
उजियारे रंग भरो ।
5
बीते कल की बतियाँ
महकाती यादें
है आँखों में रतियाँ ।
6
ये पीर पुरानी है
यूँ बदले मौसम
खुशियाँ नूरानी है ।
७
है खुशियों को जीना
हँसता चल राही
दुःख आज नहीं पीना ।
८
मन में सपने जागे
पैसे की खातिर
क्यूँ हर पल हम भागे?
९
है दिल में जोश भरा
मंजिल मिलती है
दो पल ठहर जरा ।
१०
झम झम बरसा पानी
मौसम बदल गए
क्यूँ रूठ गई रानी ?
११
क्यों मद में होते हो
दो पल का जीवन
क्यों नाते खोते हो ।
१२
है क्या सुख की भाषा
हलचल है दिल में
क्यों टूट रही आशा ।?
१३
दिन आज सुहाना है
कल की खातिर क्यों
फिर आज जलाना है ।
----शशि पुरवार
क्यूँ तुम खामोश रहे
पहले कौन कहे
दोनों ही तड़प सहें ।
2
आसान नहीं राहें
पग- पग पे धोखा
थामी तेरी बाहें ।
3
सतरंगी यह जीवन
राही चलता जा
बहुरंगी तेरा मन ।
4
साँचे ही करम करो
छल करना छोड़ो
उजियारे रंग भरो ।
5
बीते कल की बतियाँ
महकाती यादें
है आँखों में रतियाँ ।
6
ये पीर पुरानी है
यूँ बदले मौसम
खुशियाँ नूरानी है ।
७
है खुशियों को जीना
हँसता चल राही
दुःख आज नहीं पीना ।
८
मन में सपने जागे
पैसे की खातिर
क्यूँ हर पल हम भागे?
९
है दिल में जोश भरा
मंजिल मिलती है
दो पल ठहर जरा ।
१०
झम झम बरसा पानी
मौसम बदल गए
क्यूँ रूठ गई रानी ?
११
क्यों मद में होते हो
दो पल का जीवन
क्यों नाते खोते हो ।
१२
है क्या सुख की भाषा
हलचल है दिल में
क्यों टूट रही आशा ।?
१३
दिन आज सुहाना है
कल की खातिर क्यों
फिर आज जलाना है ।
----शशि पुरवार
Sunday, July 21, 2013
उड़ गयी फिर नींदे ....!
1
था दुःख को तो जलना
अब सुख की खातिर
है राहो पर चलना ।
2
रिमझिम बदरा आए
पुलकित है धरती
हिय मचल मचल जाए । .
3
है
मन जग का मैला
बेटी को मारे
पातक दर-दर फैला ।
4
इन कलियों का खिलना
सतरंगी सपने
मन पाखी- सा मिलना ।
5
थी जीने की आशा
थाम कलम मैंने
की है दूर निराशा ।
6
अब काहे का खोना
बीते ना रैना
घर खुशियों का कोना
।
7
भोर सुहानी आई
आशा का सूरज
मन के अँगना लाई।
8
पाखी बन उड़ जाऊँ
संग तुम्हारे मैं
गुलशन को महकाऊँ । -------- शशि पुरवार
Wednesday, May 8, 2013
प्यार मेरा सच्चा ......!
1
कितनी प्यारी यादें
आँगन में खेले
वो बचपन की बातें
2
पंछी बन उड़ जाऊं
मै संग तुम्हारे
नया अंबर सजाऊं
3
ये मौसम सर्द हुआ
तुम तो रूठ गए
ये जीवन रीत गया
4
फिर दिल में टीस उठी
सुप्त पड़े रिश्ते
काया भी सुलग उठी
5
खामोश हुई साँसे
होठ थरथराये
आँखों ने की बातें
6
है खेल रही कसमे
पिय संग निभायी
जब वेदी पे रस्में
7
ये अम्बर नीला है
प्यार मेरा सच्चा
इससे भी गहरा है .
------शशि पुरवार
Monday, April 29, 2013
कह दो मन की बातें
1
छूटी सारी गलियाँ
बाबुल का अँगना
वो बाग़ों की कलियाँ ।छूटी सारी गलियाँ
बाबुल का अँगना
2
सारे थे दर्द सहे
तन- मन टूट गए
आँखों से पीर बहे ।
3
थी तपन भरी आँखें
मन भी मौन रहा
थी टूट रही साँसें ।
4
पीड़ा फिर क्यों भड़की ?
भाव सभी सोए
खोली दिल की खिड़की ।
5
क्या पाप किया मैंने !
गरल भरा प्याला
हर रोज़ पिया मैंने ।
शशि पुरवार
Tuesday, November 13, 2012
दीप से दीप जलाएं ---------रंगबिरंगी दीपावली ------
गीत ---
1दीपों की लडिया सजाएँ
लौ से लौ जलाएं
आओ खुशियाँ फैलाएं
द्वार पे रंगोली डले
असंख दिवली खिले
सुप्त मन , तम में
दिया औ बाती जले ,
अंतर्घट की ज्योत जलाएं
आओ खुशियाँ फैलाएं
कुटिलता से भरे
शामनी से परे
बांकपन की आग में
तन को स्वाहा करे ,
दुर्गुणों को जड़ से मिटाएँ
आओ खुशियाँ फैलाएं
सद्गुणों का चाँद हो
शीतलता व्याप्त हो
यतीम ,बेघर ,हिंसा की
न ऐसी काली रात हो ,
गली गली चौबारे पे
सज्ञान के दीपक जलाएं
आओ खुशियाँ फैलाएं .
------ शशि पुरवार
=================================================
2
गौधुली बेला में
दमकता दिया
स्नेहिल आबंध
हर्षित हिया
सोने का कंगन
चांदी की बिछिया
हीरे जैसे पिया
धडके जिया
विश्वास की बाती
प्रेम का दिवा
समर्पण भाव
अर्पण किया
खील - बताशे
मिठाई, पटाखे
गणेश लक्ष्मी का
वंदन किया
घर ,मन दिवाली
पग पग उजेरा
अमावश को भी
रौशन किया .
गौधुली बेला में
दमकता दिया
स्नेहिल आबंध
हर्षित हिया
सोने का कंगन
चांदी की बिछिया
हीरे जैसे पिया
धडके जिया
विश्वास की बाती
प्रेम का दिवा
समर्पण भाव
अर्पण किया
खील - बताशे
मिठाई, पटाखे
गणेश लक्ष्मी का
वंदन किया
घर ,मन दिवाली
पग पग उजेरा
अमावश को भी
रौशन किया .
=================================================
3 ---
हाइकु
रंगों से भरा
सलोना बचपन
फूलपाखरू
रंगबिरंगे
प्रकृति के नज़ारे
झील किनारे
दीप भी सजे
मोरपंखी रंगों से
लौ इठलाये .
गोधुली बेला
गणेश लक्ष्मी विराजे
शुभ औ लाभ
दिया औ बाती
अटूट है बंधन
तम का साथी
रंगबिरंगे
बंदनबार सजे
युगसंधि में .
दीपो का पर्व
रौशनी का उत्सव
रैना दमके .
तम गहन
पटाखों की बहार
दीपो उल्लास .
दीपो की लड़ी
मनमोहिनी सखी
बाती भी जली
==============================सलोना बचपन
फूलपाखरू
रंगबिरंगे
प्रकृति के नज़ारे
झील किनारे
दीप भी सजे
मोरपंखी रंगों से
लौ इठलाये .
गोधुली बेला
गणेश लक्ष्मी विराजे
शुभ औ लाभ
दिया औ बाती
अटूट है बंधन
तम का साथी
रंगबिरंगे
बंदनबार सजे
युगसंधि में .
दीपो का पर्व
रौशनी का उत्सव
रैना दमके .
तम गहन
पटाखों की बहार
दीपो उल्लास .
दीपो की लड़ी
मनमोहिनी सखी
बाती भी जली
घर ,मन दिवाली
पग पग उजेरा
अमावश को भी
रौशन किया .
-------
1 पहना है अब गहना
हार बिंदी कंगना
दीप सजें है अंगना
2 खूब हुई मनुहार
सजन गए ससुराल
दिवाली घर द्वार
3 दिवाली का त्यौहार
पिया से तकरार
मिला हीरो का हार .
4 दीपो की है बहार
खास पिय का प्यार
सजाओ बंदनबार
5 सांझ दीप है जलें
दिल वाट पाहे
अब खुशियाँ आन मिले .
--शशि पुरवार
===============================================
चोका -----
रिश्तों में खास
विश्वास की मिठास
प्रेम की बाती
रौशनी की बहार
बाटें खुशियाँ
हर दिन त्यौहार
हीरे से ज्यादा
अनमोल है प्यार
है जमा पूँजी
रिश्तों की सौगात
सजन संग
बसाया है संसार
नए बंधन
स्नेहिल उपहार
दिलों की प्रीत
अमूल्य पतवार
मन ,उमंग
शीतलता व्याप्त
पल पल हो
घर मने दिवाली
हर दिन त्यौहार .
-----------शशि पुरवार
====================================
दीपक कहे बाती से , दूर हो अंधियारा
सज्ञान की जलती ज्योत , फैलाए उजियारा .............................
सभी मित्रो को सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये , दीपावली का यह पर्व आप सभी के जीवन में खुशियाँ लेकर आये -----आपका जीवन सदैव खुशियों से परिपूर्ण हो ,-------शशि पुरवार
Subscribe to:
Posts (Atom)
समीक्षा -- है न -
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
https://sapne-shashi.blogspot.com/
-
मेहंदी लगे हाथ कर रहें हैं पिया का इंतजार सात फेरो संग माँगा है उम्र भर का साथ. यूँ मिलें फिर दो अजनबी जैसे नदी के दो किनारो का...
-
हास्य - व्यंग्य लेखन में महिला व्यंग्यकार और पुरुष व्यंग्यकार का अंतर्विरोध - कमाल है ! जहां विरोध ही नही होना चाहिए वहां अ...
-
साल नूतन आ गया है नव उमंगों को सजाने आस के उम्मीद के फिर बन रहें हैं नव ठिकाने भोर की पहली किरण भी आस मन में है जगाती एक कतरा धूप भी, ...
linkwith
http://sapne-shashi.blogspot.com