दादा - दादी ,नाना -नानी , भूले दुख के सब अंधियारे
बचपन के संग डूब गए , फैले हैं सुख के उजियारे
बुआ -फूफा, सौम्या -अवनि ,बोलें हम भी है अभिलाषी
नटखट गुड़ियाँ ने छेड़ी हैं , बजी सबके मन झंकार
वाट्स आप बाबा के जरिये , सभी मिलकर बाँटें प्यार
दादी पम्मो , घर के सारे, नाते - रिश्ते, जीता है बचपन
किलकारी से गूँज रहा है देखो, अब अपना घर - आँगन
-- शशि पुरवार