शिउली सौन्दर्य
लतिका पे खिला
गुच्छो में भरा
पारिजात लदा बदा
दुग्ध -उज्जवल शेफालिका
कोमल बासंती नाजुक अंग
शशि किरण में है बिखरा
भीनी -भीनी मोहक सुगन्धित सुवास
रोम -रोम में समाये
मदमाती बयार इठलाये
निखरता शिवली का यौवन
अँखियो की प्यास बुझाए
होले-होले चुपके से
प्राजक्त रात्र में खिले
अंजुल भर -भर
हरसिंगार ,
झर -झर झरते
धरा का नवल श्रृंगार करे
लजाती मोहिनी शेफाली
मुस्काता चंचल बसंत
प्राकृतिक सौन्दर्य की पराकाष्ठा
अप्रतिम अतुल्य
ईश्वरीय सृजन .