१
माँ तुम हो
शक्तिस्वरूपा
मेरी भक्ति का संसार
माँ से ही प्रारंभ
यह जीवन
माँ ही उर्जा का संचार
२
नीड बनाने में कितनी
खो गयी थी माँ
उड़ गए
पंछी घोसलों से
फिर तन्हा हो गयी है माँ
-- शशि पुरवार
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१६ / ९ /१३
माहिया --
१
न्यौछावर करती है
माँ घर में खुशियाँ
खुद चुन चुन भरती है
२
बच्चों की शैतानी
माँ बचपन जीती
नयनों झरता पानी
३
ममता की माँ धारा
पावन ज्योति जले
मिट जाए अँधियारा
४
माँ जैसी बन जाऊँ
छाया हूँ उनकी
कद तक न पहुँच पाऊँ
५
चंदन सा मन महके
ममता का आँचल
खिलता, बचपन चहके।
६
माँ जैसी बन जाऊं
छाया हूँ उनकी
कद तक न पहुंच पाऊं
-- शशि पुरवार
२९ सितंबर २०१४
माँ जैसी बन जाऊं
छाया हूँ उनकी
कद तक न पहुंच पाऊं