1
नदिया- तीरे
झील में उतरता
हौले से चंदा
2
बहती नदी
आँचल में समेटे
जीवन सदी
2
सुख और दुख
नदी के दो किनारे
खुली किताब
3
सुख की धारा
रीते पन्नों पर भी
पवन लिखे
4
दुख की धारा
अंकित पन्नों पर
जल में डूबी
5
बहती नदी
पथरीली हैं राहें
तोड़े पत्थर
6
वो पनघट
पनिहारिन बैठी
यमुना तट
7
नदी -तरंगे
डुबकियाँ लगाती
काग़ज़ी नाव
8
लिखें तूफ़ान
तक़दीरों की बस्ती
नदिया धाम
9
बहता पानी
विचारों की रवानी
नदिया रानी
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शशि पुरवार
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
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