हाइकु
1 तरसे नैना
परदेश सजन
कैसे पुकारू
2 नैना प्यासे
प्रभु दरसन के
सुनो अरज .
3 आँखों की हया
लज्जा की चुनर
नारी गहना
4 मोह औ माया
अहंकार का पर्दा
आँखों का धोखा .
5 पाखी है मन
चंचल चितवन
नैना सलोने .
6
अधूरी प्यास
अजन्मी ख्वाहिशे
वक़्त है कम .
7
रीता ये मन
कोख का सूनापन
अतृप्त आत्मा .
8
अधूरापन
ज्ञान के खिले फूल
खिला पलाश .
9
अतृप्त मन
भटकता जीवन
ढूंढें किनारा .
10
नन्हे कदम
मोहिनी म्रदुहास्य
खिला अंगना .
11
अश्क आँखों के
सूख गए है जैसे
रीता झरना .
12
पीर तन की
अब सही न जाती
वृद्धा जीवन
13
आँखों में देखा
छलकता पैमाना
अहंकार का .
14
अंतरगित
सन्नाटे में बिखरी
तेज चीत्कार .
15
सुख के सब
होते है संगी- साथी
स्वार्थी जहान .
----शशि पुरवार
हाइकु
1 तरसे नैना
परदेश सजन
कैसे पुकारू
1 तरसे नैना
परदेश सजन
कैसे पुकारू
2 नैना प्यासे
5 पाखी है मन
चंचल चितवन
नैना सलोने .
6
अधूरी प्यास
अजन्मी ख्वाहिशे
वक़्त है कम .
7
रीता ये मन
कोख का सूनापन
अतृप्त आत्मा .
8
अधूरापन
ज्ञान के खिले फूल
खिला पलाश .
9
अतृप्त मन
भटकता जीवन
ढूंढें किनारा .
प्रभु दरसन के
सुनो अरज .
3 आँखों की हया
लज्जा की चुनर
नारी गहना
4 मोह औ माया
अहंकार का पर्दा
आँखों का धोखा .
सुनो अरज .
3 आँखों की हया
लज्जा की चुनर
नारी गहना
4 मोह औ माया
अहंकार का पर्दा
आँखों का धोखा .
5 पाखी है मन
चंचल चितवन
नैना सलोने .
अधूरी प्यास
अजन्मी ख्वाहिशे
वक़्त है कम .
7
रीता ये मन
कोख का सूनापन
अतृप्त आत्मा .
8
अधूरापन
ज्ञान के खिले फूल
खिला पलाश .
9
अतृप्त मन
भटकता जीवन
ढूंढें किनारा .
10
नन्हे कदम
मोहिनी म्रदुहास्य
खिला अंगना .
11
अश्क आँखों के
सूख गए है जैसे
रीता झरना .
12
पीर तन की
अब सही न जाती
वृद्धा जीवन
13
आँखों में देखा
छलकता पैमाना
अहंकार का .
14
अंतरगित
सन्नाटे में बिखरी
तेज चीत्कार .
15
सुख के सब
होते है संगी- साथी
स्वार्थी जहान .
----शशि पुरवार
नन्हे कदम
मोहिनी म्रदुहास्य
खिला अंगना .
11
अश्क आँखों के
सूख गए है जैसे
रीता झरना .
12
पीर तन की
अब सही न जाती
वृद्धा जीवन
13
आँखों में देखा
छलकता पैमाना
अहंकार का .
14
अंतरगित
सन्नाटे में बिखरी
तेज चीत्कार .
15
सुख के सब
होते है संगी- साथी
स्वार्थी जहान .
----शशि पुरवार
bahut sundar haiku ...
ReplyDelete11th 13th ..sabse achcha laga ....!!
shubhkamnayen ...!!
सभी हाइकु बेहद प्रभावी .... सुंदर
ReplyDeleteआँखों का यह धोखा बहुत खूबसूरत है |सभी क्षणिकाएं बेहतरीन |आभार
ReplyDeleteकम शब्दों में एक नयी गहराई..
ReplyDeleteभावपूर्ण प्रभावित करते लाजबाब हाइकू,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बहुत बढ़िया हायेकु...
ReplyDeleteसभी सुन्दर!!!
सस्नेह
अनु
सभी हाइकु एक से बढ़ कर एक..लाज़वाब
ReplyDeleteप्रभावशाली हाइकू, जैसे गागर में सागर।
ReplyDeleteशब्दों का खेल,बेहतरीन हाइकु ...कुछ जीवन से कुछ यथार्थ से !!!
ReplyDeleteवाह बहुत बढिया ...जीवन की आस से
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।
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