सुख की ठाँव
जीवन के दो रंग
धूप औ छाँव
भ्रष्ट अमीरी
डोल गया ईमान
तंग गरीबी
शब्दो का मोल
बदली परिभाषा
थोथे है बोल
मन के काले
धूर्तता आवरण
सफेदपोश
--- शशि पुरवार
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
man kai kale.......safedpose achcha haiku hai
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक हाइकु...
ReplyDeleteबहुत खूब , शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
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