सुख की ठाँव
जीवन के दो रंग
धूप औ छाँव
भ्रष्ट अमीरी
डोल गया ईमान
तंग गरीबी
शब्दो का मोल
बदली परिभाषा
थोथे है बोल
मन के काले
धूर्तता आवरण
सफेदपोश
--- शशि पुरवार
अदद करारी खुशबू शर्मा जी अपने काम में मस्त सुबह सुबह मिठाई की दुकान को साफ़ स्वच्छ करके करीने से सजा रहे थे । दुकान में बनते गरमा गरम...
man kai kale.......safedpose achcha haiku hai
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक हाइकु...
ReplyDeleteबहुत खूब , शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
ReplyDelete