shashi purwar writer

Monday, June 15, 2020

सपनों में रंग भरे


सपनों में रंग भरे
सपनो में रंग भरे
नैना सजल हुये
जितने भी जतन करे।

पहन रहे हैं गहना
हार बिंदी कंगन
फूल खिले मन, अंगना

छेड़ रही है साली
जीजा घर आये
खुशियों की दीवाली

फिर सजनी ने माँगा
सोने का गहना
साजन बोले ताँगा

संध्या में दीप जलें
खुशियों के पाहून
घर - अँगना ज्योति खिले

यह चंदा मेरा है
मन को अति भाये
तन, रूप चितेरा है

सपनो में रंग भरो
नैना सजल हुये
जितने भी जतन करो।

पहन रहे हैं गहना
हार बिंदी कंगन
फूल खिले मन, अंगना


छेड़ रही है साली
जीजा घर आये
खुशियों की दीवाली
१० 
फिर सजनी ने माँगा
सोने का गहना
साजन बोले ताँगा
११
संध्या में दीप जलें
खुशियों के पाहून
घर - अँगना ज्योति खिले
१२
यह चंदा मेरा है
मन को अति भाये
तन, रूप चितेरा है
१३
बच्चों की शैतानी
माँ बचपन जीती
नयनों झरता पानी

१४
माँ ममता की धारा
पावन ज्योति जले
मिट जाए अँधियारा

१५
मन चंदन सा महके
ममता का आँचल
भोला बचपन चहके
 शशि पुरवार 


4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 15 जून जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. Replies
    1. यशोदा जी शास्त्री जी आपका हार्दिक धन्यवाद

      Delete

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