भोर हुई मन बावरा, सुन पंछी का गान
गंध पत्र बांटे पवन धूप रचे प्रतिमान
प्रकृति का सौंदर्य आज अपने पूरे उन्माद पर है. प्रकृति की अनुपम छटा आज पुनः अपनी मधुरता का एहसास करा रही है. सुबह फिर सुहानी सी कलरव की मधुर आवाज से करवट बदलती है तो शाम की शीतल मधुर फुहार व हवा में ताजगी का अनोखा अहसास, जीवन में रंग भर रहा है. पावन गंगा निर्मल स्वच्छ होकर बह रही है, गंगा का पानी साफ हो गया है. धरती का अंग अंग प्रफुल्लित होकर खिल रहा है. गंगा में डॉल्फिन का दिखना, सड़कों पर जानवरों का विचरण करना, प्रकृति का सुखद संदेश है. भय मुक्त प्राणी मानव द्वारा तय की गई सीमा से बाहर स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं. ओजोन की परत पूर्णतः भर गई है प्रकृति के कितने विहंगम दृश्य हैं,उसका सौंदर्य अकल्पनीय है.
अभी तक हम प्रकृति में हो रहे विनाश के लिए चिंतित थे. लेकिन प्रकृति ने स्वयं के घावों को भर लिया है. पात- पात डाल- डाल खिल रहे हैं. कोरोना काल का सबसे ज्यादा सकारात्मक प्रभाव प्रकृति पर दिखा है, प्रकृति पुनः अपनी प्राकृतिक सौंदर्य की पराकाष्ठा को दिखा रही है. मैं आज तक उस पावन गंगा नदी को नहीं भूली हूँ. पटना में गंगा नदी के किनारे बचपन की अनेक यादें आज भी ताजा है. घर के पास बचपन में गंगा घाट पर बैठकर उसके पावन जल में डुबकी लगाना व प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को निहारकर नयनों में कैद करना तो वहीं प्रकृति की मार से विस्मित होना. जहां निर्मल पावन गंगा मानव के पाप धोते-धोते कलुषित हो गई थी. इस मानवी भूल व कुप्रथाओं का परिणाम हम सब ने देखा है.
देखा जाए तो कोरोना काल कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए ही आया है. हम प्रकृति का दोहन करें, किंतु उसके विनाश का कारण नहीं बने. जहान है तो जान है. आज हमें प्रकृति से जीने की प्रेरणा लेनी चाहिए
एक वायरस प्रकृतिक साधनो व जीव जंतु का कुछ भी अहित नहीं कर सका, लेकिन मानव के कलुषित मन से जन्मा वायरस आज मानव के लिए ही प्राण खाती बन गया है. कोरोना से डर कर नहीं उसके साथ जीने के तरीके सीखने होंगे. जीने के अंदाज बदलने होंगे. प्राचीन संस्कृति की अच्छी बातें पुनः याद कर के नया अध्याय लिखना होगा. जीवन जीने के मायने व तरीके बदलेंगे, कुप्रथाएं समाप्त होंगी और होनी भी चाहिए आखिर कब तक हम कुप्रथाओं के बोझ तले जीवन का पहिया खीचेंगे. कुरीतियां कब तक अपने फन मारेगी. लाक डाउन ३ जान है, जहान है का मंत्र लेकर आया है
सरकार जीवन की गाड़ी धीरे-धीरे पटरी पर लाने का प्रयास सरकार कर रही है. रेड, ग्रीन, ऑरेंज जोन के साथ मानवीय चहल-पहल शुरू होगी. लेकिन यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम पूरी प्रकृति को ग्रीन जोन में परिवर्तित करें. कहतें है ना कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी. ऐसी स्थिति से बचने के लिए कदम कदम पर सावधानी जरूरी है. मैं तो यही कहूंगी कि जहान है जान है, दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची हैं . जान के साथ जहान का भी ख्याल रखें तो जान अपने आप बची रहेगी. जीवन फिर पटरी पर आकर नए अंदाज में अपना नया अध्याय लिखेगा।
हम वायरस को खत्म तो नहीं कर सकते लेकिन उसकी चैन को जरूर तोड़ सकते हैं . उसकी चेन तोड़कर उसे अपने जीवन से समाप्त कर सकते हैं . हमें सावधानी के साथ जीवन का नए अध्याय की शुरुआत करनी होगी.
मुंह पर मास्क लगाकर, 2 गज की दूरी बनाकर, अनावश्यक होने वाले समारोह सोशल कार्यक्रम एवं दिखावे से दूर रहना होगा. भीड़ को इतिहास बनाना होगा. जीवन को सुचारु रूप से चलाना होगा .
आज मजदूर अपने अपने गांव जा रहे हैं. अगर दूसरे नजरिए से देखा जाए तो यह सुखद है. परिवार पूर्ण होंगे, गांव में भी रोजगार उत्पन्न होंगे. शहर व गांव दोनों गुलजार होंगे. गांव की सौंधी महक जो सिर्फ पन्नों में सिमट कर रह गई थी, अब पुनः अपना नया अध्याय लिखेगी
जीवन आज नया अध्याय लिखने के लिए तैयार है .हमें डरकर नहीं कोरोना को हराकर जीना है . प्रण करें कि स्वयं के साथ प्रकृति की भी रक्षा करेंगे तो भविष्य में कोई भी आपदा अपना कुअध्याय नहीं लिखेंगी. यदि हम कांटे बोलेंगे तो फिर फल कहां से पाएंगे इसीलिए तो कहती हूँ
कांटे चुभते पांव में, बोया पेड़ बबूल
मिली ना सुख की छांव फिर केवल चुभते शूल
आज कोरोना के सकारात्मक प्राकृतिक परिणाम को देखते हुए हमें स्वयं को सकारात्मक रखना होगा. अपने आने वाले जीवन के लिए खुद को तैयार करना होगा. जीवन अपना नया अध्याय लिखने के लिए तैयार है, लॉक डाउन धीरे धीरे ख़त्म हो जायेगा , यह लॉक डाउन हमें बहुत कुछ सीख देकर जा रहा है. सावधानी रखें, बुजुर्ग व बच्चों का विशेष ख्याल रखें. कोरोना का लॉक डाउन बनाये . हम पुनः खड़े होंगे, भारत कमजोर नहीं है ना ही यहाँ के लोग कमजोर है. हर परेशानी को काटना हमें आता है. इन पलों में स्वयं को मजबूत करें जिससे आने वाला समय सुखद पलों का साक्षी बने. अंत में यही कहना चाहूंगी-
आशा की रागिनी जीवन की शमशीर
सुख की चादर तानकर फिर सोती है पीर
शशि पुरवार
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (22-06-2020) को 'नागफनी के फूल' (चर्चा अंक 3747)' पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
-रवीन्द्र सिंह यादव
सही कहा आपने जीवन आज नया अध्याय लिखने के लिए तैयार है।हमें डरकर नहीं, डटकर कोरोना को हराना है। बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति 👌
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDelete