Friday, July 29, 2011

ऐ मेरे चाँद।

   जिन्हें   मै  पा  नहीं  सकूं  .  तू  मत  दिखा  मुझे   वो   नज़ारे  











ऐ  चाँद ,

ऐ  चाँद  ,
 तू   मत   कर  वो  इशारे  
   जिन्हें   मै  समझ   न  सकूं  .

 ऐ   चाँद  ,
  तू   मत   समा  मेरे  दिल  में  इतना 
  कि  तुझे   मै   छिपा  न   सकूं .

 ऐ   चाँद  ,
  तू  मत   दूर  जा   मुझसे  ,
  कि  तेरे   बिन  रह   भी  न   सकूं  .

  ऐ   मेरे   चाँद ,
  डूब  जाने   दे  मुझे  तेरे  प्यार   में 
 इतना  कि  खुद   को  भी  मै   याद  न   आ  सकूं .

 ऐ   चाँद   ,
  पिला   तेरे   प्यार  का  जाम  इतना  कि  
  कभी   होश  में  ही  ना   आ   सकूं .......!
 
                                  : शशि  पुरवार


 ये    कविता  मैंने   चांदनी   रात  में  चाँद   को  देख  कर  लिखी   थी  , यह  कविता   समाचार  पत्रों    व   कुछ   पत्रिकाओ  में  भी  छप   चुकी   है .

Tuesday, July 26, 2011

" अलविदा "......



"वह  कौन   खड़ा   है 
 बार  - बार  मुस्कुरा   रहा  है 
 इशारो   से   वह  बुला  रहा   है 
 कितना अच्छा   लग  रहा  है ,
 उसकी  ये   अदाएं  तो 
सबके  मन  पर  छा  जाएँ 
 उसकी  वो  प्यार   भरी  नजरे 
 उसका  खिलखिला  कर  हँसना
 ये  अदाएं  तो  दिल   में  बस  जाएँ ....
वह  तो  चिंता से  परे   खड़ा है  ,
 कौन  है  वह ..?  कौन  है ....?
     नहीं  - नहीं .....
 ये  वह   नहीं ..
 यह   और   कोई  नहीं   ,  वही   है ....
 वही  है   ये  तो  ..... वही   है ........!
  यही  तो  है  मेरा   बचपन  
  अलविदा   बचपन   " अलविदा   "
                                                  :-  शशि  पुरवार
                 

यह  कविता  समाचार  पत्रों  और  पत्रिकाओ  में  प्रकाशित  हो  चुकी  है .

Friday, June 24, 2011

big day

today  22 june  is the special day for me ......so i want to celebrate this day in a very special  manner .
i want to do some thing for me which give me a fresh and new feeling  forever ...........this b'day i will celebrate for myself ..........doesn't matter if party is not planed.........just wish my self for a new sunny morning ........!

Tuesday, June 21, 2011

sapne

सपने.... एक ख्वाब ,

मन की गहराईयों  में छुपी
हुई हमारी आकांशाएँ .......!

सपने मन की शीतल गहराईयों में
सदैव  ही फलते- फूलते रहते है .

सपने,
जो हमारी अपनी धरोहर  होते  है .
सपने   कभी  अपनी  उड़ाने  भरते  है 
तो कभी  मन  की  धरती   पर   ही    अपना  दम   तोड़   देते   है .....!
पर  फिर  भी   सपने   हमारे   अपने   होते   है ......! 
                         
                                                         : शशि पुरवार
 सपने में आपका स्वागत है
 





स्वागत

 सपनों की इस दुनियाँ में आप सभी का स्वागत है 

-- शशि पुरवार 

समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

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