Tuesday, January 24, 2012
Thursday, January 19, 2012
दिल के कुछ अरमान ......!
दिल के कुछ अरमान
दिल में ही रह जाते है ...!
कुछ अजन्मे , अनछुए ख्वाब
विचरते है कई बार
नम हुए नयन ,
दिल में उठी एक चुभन
ख्वाहिशे हुई क्लांत
खामोश हुई जुबान
आरजूएं हुई है खफा
मिली ये कैसी सजा
गम पीकर भी मुस्कुराते है
जिंदगी के साथ कदम मिलते है ...!
दिल के कुछ अरमान दिल में ही ........!
गुजरते वक्त के साथ
धूमिल नहीं होते ख्वाब
आरजूएं कभी नहीं मरती
इन अजन्मे ख्वाबो की बस्ती
दिल के किसी कोने में है बस्ती ,
वक्त के थपेड़े भी , नहीं
बना पाते उनकी ख्वाबगाह
अनछुए से , सीप के मोती ,
और गुलशन के फूलों ,
की तरह सदैव महकते है
दिल के कुछ अरमान .....!
अजन्मी चाहतें , कुछ ख्वाब
दिल में दफ़न होकर भी ,
सदैव दिल में जन्म लेते है
हकीकत का रूप मिले या न मिले
दिल में सदैव बसते है .
दिल के कुछ अरमान
दिल में ही रह जाते है ...........!
: -- शशि पुरवार
Friday, January 13, 2012
श्वेत चादर .........!
१ ) शीत लहर
अदरक की चाय
गरम चुस्की .
२ ) जमती झीले
चमकती चांदनी
श्वेत चादर .
३) हिमपात है
तपती धरा पर,
शितोपचार .
४) बर्फ ही बर्फ
बिखरी चारो तर्फ
अकेली जान .
५) बर्फ सा पानी
कांपती जिंदगानी
है गंगा स्नान .
६ ) जमता खून
हुई कठिन सांसे
फर्ज - इन्तिहाँ .
७) शीत प्रकोप
सैन्य बल सलाम
देश में जान .
८) खिलखिलाता
हुआ आया है भानू
गर्म छुअन .
: -- शशि पुरवार
Monday, January 9, 2012
चहुँ और फैले ..!
१ . आया नूतन नववर्ष , करे नया संकल्प
जीवन में आये बहार , मुस्काती बारम्बार .
२. जगी मन में आशा , कुछ नवीन ख्याल.
एक पहचान , सही दिशा ,ऊचाइयों का जन्म .
३. चहुँ और फैले , शिक्षा का प्रकाश
अशिक्षित जीवन में आये, सुनहरा प्रकाश .
४ . अंत हो कुरीतियों का , यही है बस चाहत
इस नववर्ष में नयी दिशा ,उचाईयों को छुए मानव .
५ .धरती से अम्बर तक , गूंजे सच का नाम
नववर्ष में प्रेक्षित हो ,जग में सारे सच्चे काम.
:-- शशि पुरवार
Friday, January 6, 2012
Tuesday, January 3, 2012
कभी तुम कुछ कहते हो .........!
कभी तुम कुछ कहते हो ,
कभी तुम चुप रहते हो ,
पर हमेशा मुझसे ही कुछ ,
कहलवाने की कोशिश करते हो ...!
कभी नजरे मिलते हो ,
कभी नजरे चुराते हो ,
ऐसा लगता है कि ,दूर
जाने कि कोशिश करते हो ...!
कभी पास आते हो ,
कभी दूर चले जाते हो ,
क्या दिल ,लगाने कि
कोशिश करते हो ....!
कभी प्यार जताते हो ,
कभी प्यार छुपाते हो ,
क्या तुम मेरे प्यार को ,
आजमाने कि कोशिश करते हो ........!
कभी तुम कुछ कहते हो .........!
:-- शशि पुरवार
कभी तुम चुप रहते हो ,
पर हमेशा मुझसे ही कुछ ,
कहलवाने की कोशिश करते हो ...!
कभी नजरे मिलते हो ,
कभी नजरे चुराते हो ,
ऐसा लगता है कि ,दूर
जाने कि कोशिश करते हो ...!
कभी पास आते हो ,
कभी दूर चले जाते हो ,
क्या दिल ,लगाने कि
कोशिश करते हो ....!
कभी प्यार जताते हो ,
कभी प्यार छुपाते हो ,
क्या तुम मेरे प्यार को ,
आजमाने कि कोशिश करते हो ........!
कभी तुम कुछ कहते हो .........!
:-- शशि पुरवार
Thursday, December 29, 2011
मिले सभी को .......
भविष्य के संदूक में छुपे हुए अनके
अनंत तोहफे , जिंदगी के .
दिल झूमा , उमंगो ने ली फिर
अंगड़ाई , मीठे सपनो की
महफ़िल नैनों में बारात बन कर आई .
बिता समय , बीती बतिया . दुःख ,कष्ट ,
तकलीफे ,आतंक ,महामारी ,भ्रष्टाचार ,
महंगाई का गरमा है बाजार .
छोड़ो यह तो रोज का है समाचार .
गरीबों का हर दिन , जब भी मिले
काम का मेहनताना ,होता है
खुशियों का छोटा सा खजाना .
छोटे से नीड़ व , नयनो में भरा है,
उम्मीदों और उमंगो का खजाना .
उम्र नहीं होती काम की ,
वक़्त नहीं मिलता बार -बार
हर पल को जिलो , यही देगा यादों
का सुंदर संसार .
नए वर्ष की चमक चहरे पे
ठंडी की भी है बयार ,
सूर्ये की लालिमा ,
चिड़ियों की कलवल
बाहें पसारे सब कर रहे
नव वर्ष का स्वागत .
जीवन हो जाये संगीतमय
फूलों सी महक
सितारों सी चमक ,
खुशियों की बौछार
दिल से दुआ है यही
मिले सभी को
नववर्ष का यही प्यारा सा उपहार .
:- शशि पुरवार
Friday, December 23, 2011
नया नहीं है .यह बस ......!
दैनिक जीवन की जब बात चले
घडी व नारी नजरो के सम्मुख
आ हुए है खड़े .
अनवरत , दृढ़ , अविचल
नारी ... घडी के समान
सदैव धुरी सी घुमे .
सुख का पल हो या
दुःख का मातम ,
जवानी हो या बुढ़ापा
स्वयं को सम्हाले , अडिग
पाषाण ,निरंतर फिर से उठे ,
अपने कार्य की गरिमा को निभाते चले .
नया साल हो या जीवन का नया पल ,
घडी , नारी , वक़्त के साथ
बस चलते ही रहे .
नारी कई पदों पर कायम ,
पर नर की ही है पहचान
ब्रम्हा जी की इस सृष्टि में
नए साल पर हम करते
दोनों को सलाम .
नया नहीं है यह बस ,
वक़्त की है बात ,जब
भी नयी राह वक़्त से मिले
तभी नया साल .
:-शशि -पुरवार
Tuesday, December 20, 2011
हयुक ........शब्द है गुम........
१) बर्फीली घाटी
२) शब्द है गुम
मौन हुआ मुखर
खामोश बातें
३) एकाकीपन
बिखरी है उदासी
स्याही ख़ामोशी
४) आतंकवाद
जीवन के उजाले
की स्याही रात
५) गहन रात
छुप गया है चाँद ,
कृष्ण -पक्ष में .
६) चुप है रात
ख़ामोशी लगे खास
वृन्दावन में .
७) साक्षी है रात
कृष्ण -राधा का रास
वृन्दावन में.
८) मन दर्पण
दिखता है अक्स
चेहरे संग.
९) चन्दन टिका
मस्तक पे है सजा
शिव-शंकर .
१०) राग - बैरागी
सुर गाये मल्हार
छिड़ी झंकार .
११) धरा -अम्बर
पे तारों की चुनर
सौम्य श्रंगार .
१२) तन चन्दन
जले मनमोहिनी
अगरबत्ती .
१३) मोहक रूप
फूलों संग श्रंगार
छुईमुई सा .
१४) सुंदर स्वप्न
तितली बन उड़े
अखिंयन में .
१५) है फूल खिले
गुलजार है मन
मधुबन में .
१६) सूखे है पत्ते
बदला हुआ वक़्त
पड़ाव , अंत .
१७) सूखी पत्तिया
बेजार हुआ तन
अंतिम क्षण .
१८) हिम शिखर
मनमोहिनी घटा
अप्रतिम सा .
१९) परिवर्तन
वक़्त की है पुकार
कदम ताल .
२०) नव वर्ष की
शुभ बेला है आई
ले अंगड़ाई.
२१) गहन रात
पूनम का ये चाँद
खिलखिलाता.
२२) मेरी जिंदगी !
मेरे ख्वाबों को तुम,
नया नाम दो .
२३) साँसों में बसी
है खुशबू प्यार की,
तुम जान लो .
२४) प्यार के पल
महक रही यादें
तन्हाई संग .
२५) सुहानी धूप
सर्द हुआ मौसम ,
सिमटा वक्त
२६) सजी तारो से
रात , बिखेरे छटा
पूनों का चाँद .
२७) बाजरा -रोटी
घी संग गुड डली
सौंधी -सी लगे .
२८) पीली सरसों
मक्के दी भाखरी ,लो
सर्दी है आई.
:- शशि पुरवार
प्रकाशित हुए हयुक .
सन्नाटे को चीरती
हुयी ख़ामोशी .२) शब्द है गुम
मौन हुआ मुखर
खामोश बातें
३) एकाकीपन
बिखरी है उदासी
स्याही ख़ामोशी
४) आतंकवाद
जीवन के उजाले
की स्याही रात
५) गहन रात
छुप गया है चाँद ,
कृष्ण -पक्ष में .
६) चुप है रात
ख़ामोशी लगे खास
वृन्दावन में .
७) साक्षी है रात
कृष्ण -राधा का रास
वृन्दावन में.
८) मन दर्पण
दिखता है अक्स
चेहरे संग.
९) चन्दन टिका
मस्तक पे है सजा
शिव-शंकर .
१०) राग - बैरागी
सुर गाये मल्हार
छिड़ी झंकार .
११) धरा -अम्बर
पे तारों की चुनर
सौम्य श्रंगार .
१२) तन चन्दन
जले मनमोहिनी
अगरबत्ती .
१३) मोहक रूप
फूलों संग श्रंगार
छुईमुई सा .
१४) सुंदर स्वप्न
तितली बन उड़े
अखिंयन में .
१५) है फूल खिले
गुलजार है मन
मधुबन में .
१६) सूखे है पत्ते
बदला हुआ वक़्त
पड़ाव , अंत .
१७) सूखी पत्तिया
बेजार हुआ तन
अंतिम क्षण .
१८) हिम शिखर
मनमोहिनी घटा
अप्रतिम सा .
१९) परिवर्तन
वक़्त की है पुकार
कदम ताल .
२०) नव वर्ष की
शुभ बेला है आई
ले अंगड़ाई.
२१) गहन रात
पूनम का ये चाँद
खिलखिलाता.
२२) मेरी जिंदगी !
मेरे ख्वाबों को तुम,
नया नाम दो .
२३) साँसों में बसी
है खुशबू प्यार की,
तुम जान लो .
२४) प्यार के पल
महक रही यादें
तन्हाई संग .
२५) सुहानी धूप
सर्द हुआ मौसम ,
सिमटा वक्त
२६) सजी तारो से
रात , बिखेरे छटा
पूनों का चाँद .
२७) बाजरा -रोटी
घी संग गुड डली
सौंधी -सी लगे .
२८) पीली सरसों
मक्के दी भाखरी ,लो
सर्दी है आई.
:- शशि पुरवार
प्रकाशित हुए हयुक .
Friday, December 9, 2011
सुंदर स्वप्न........!
सुंदर स्वप्न,
तितली बन के उड़े,
अखिंयन में .
फूल खिले , तो
गुलजार हुआ है मन ,
दिल जोहे है वाट
मधुबन में ...!
पवित्र प्रेम की
बिखरी है कलियाँ,
सिमट गयी बतियाँ
खो गए , नीलगगन में .
तारों ने भी दी है सौगात
खिला पूनम का चाँद,
रौशन हुयी दिल की बगिया
गुलशन में ....!
अब आये न होश
हुए है मदहोश ,
छाया अनुपम सौन्दर्य
बगियन में ...!
सुंदर स्वप्न .....!
: - शशि पुरवार
डायरी के पन्नों से -
तितली बन के उड़े,
अखिंयन में .
फूल खिले , तो
गुलजार हुआ है मन ,
दिल जोहे है वाट
मधुबन में ...!
पवित्र प्रेम की
बिखरी है कलियाँ,
सिमट गयी बतियाँ
खो गए , नीलगगन में .
तारों ने भी दी है सौगात
खिला पूनम का चाँद,
रौशन हुयी दिल की बगिया
गुलशन में ....!
अब आये न होश
हुए है मदहोश ,
छाया अनुपम सौन्दर्य
बगियन में ...!
सुंदर स्वप्न .....!
: - शशि पुरवार
डायरी के पन्नों से -
Tuesday, December 6, 2011
हायुक ...
१) कॉपी - पेस्ट
मूल दस्तावेजों
संग अपराध .
२ ) शक , दीमक
रिश्तो में दूरियां
मकड़ीजाल .
३ ) रचनाओं पे
शब्दों की समीक्षा
मेहनताना.
४ ) माँ का दुलार
सुरक्षा का कवच
शिशु जीवन .
५ ) मन की जीत
सुनहरा प्रकाश
प्रज्वलित .
६ ) परिवार है
सुखी जीवन की
असली नीव.
७ ) गुलशन में
फूलो संग लिपटी
हुई ख़ामोशी .
८ ) विष सा कार्य
रिश्तो में शोषण
कड़वाहट .
९ ) है जानलेवा
केंसर से खतरा
मदिरापान.
10) दिल पागल
दीवानापन , प्यार
है दिलदार .
:- शशि पुरवार
मूल दस्तावेजों
संग अपराध .
२ ) शक , दीमक
रिश्तो में दूरियां
मकड़ीजाल .
३ ) रचनाओं पे
शब्दों की समीक्षा
मेहनताना.
४ ) माँ का दुलार
सुरक्षा का कवच
शिशु जीवन .
५ ) मन की जीत
सुनहरा प्रकाश
प्रज्वलित .
६ ) परिवार है
सुखी जीवन की
असली नीव.
७ ) गुलशन में
फूलो संग लिपटी
हुई ख़ामोशी .
८ ) विष सा कार्य
रिश्तो में शोषण
कड़वाहट .
९ ) है जानलेवा
केंसर से खतरा
मदिरापान.
10) दिल पागल
दीवानापन , प्यार
है दिलदार .
:- शशि पुरवार
Wednesday, November 9, 2011
छुपती - छुपाती ......परछाईयां,
परछाईयों से है,
नाता पुराना
साथ चलती,
परछाईयाँ
दिखाती हैं ,
क़दमों के निशां .
चांदनी रात में
छुपती - छुपाती
परछाईयाँ,
उजागर करती है
अतीत के पन्नों को .
चंचल हिरनी सी
चपल , लजाती ,
अपने अस्तित्व का ,
अहसास कराती .
सुख - दुःख का मेरा
सच्चा साथी ,
मेरी हर तस्वीर का
आइना है , ये
परछाईयाँ .
बचपन में " चंचल "
जवानी में " अल्हड "
बुढ़ापे में " तठस्थ "
हर पल रूप ,
बदलती " परछाईयाँ".
कभी नजदीक है आती
कभी दूर हो जाती ,
ढूँढो , इनको ,तो
खुद का ही ,
प्रतिबिम्ब दिखाती .
पलभर में गुम
पलभर में पास ,
ख़ामोशी से कहती
सदा एक ही बात ,
हम तो जीवन भर
साथ निभाती .
हमकदम , हमनशीं
हमसफ़र , मेरे
अन्तःस का
आइना
" परछाईयाँ "
:- शशि पुरवार
डायरी के पन्नों से -
डायरी के पन्नों से -
Subscribe to:
Posts (Atom)
समीक्षा -- है न -
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
https://sapne-shashi.blogspot.com/
-
मेहंदी लगे हाथ कर रहें हैं पिया का इंतजार सात फेरो संग माँगा है उम्र भर का साथ. यूँ मिलें फिर दो अजनबी जैसे नदी के दो किनारो का...
-
हास्य - व्यंग्य लेखन में महिला व्यंग्यकार और पुरुष व्यंग्यकार का अंतर्विरोध - कमाल है ! जहां विरोध ही नही होना चाहिए वहां अ...
-
साल नूतन आ गया है नव उमंगों को सजाने आस के उम्मीद के फिर बन रहें हैं नव ठिकाने भोर की पहली किरण भी आस मन में है जगाती एक कतरा धूप भी, ...
linkwith
http://sapne-shashi.blogspot.com