शिउली सौन्दर्य
लतिका पे खिला
गुच्छो में भरा
पारिजात लदा बदा
दुग्ध -उज्जवल शेफालिका
कोमल बासंती नाजुक अंग
शशि किरण में है बिखरा
भीनी -भीनी मोहक सुगन्धित सुवास
रोम -रोम में समाये
मदमाती बयार इठलाये
निखरता शिवली का यौवन
अँखियो की प्यास बुझाए
होले-होले चुपके से
प्राजक्त रात्र में खिले
अंजुल भर -भर
हरसिंगार ,
झर -झर झरते
धरा का नवल श्रृंगार करे
लजाती मोहिनी शेफाली
मुस्काता चंचल बसंत
प्राकृतिक सौन्दर्य की पराकाष्ठा
अप्रतिम अतुल्य
ईश्वरीय सृजन .
बहुत सुन्दर!!!!!
ReplyDeleteये फूल तो हमारी कमजोरी हैं.....शायद हर कवि की होते होंगे....इनके ख़याल मात्र से मन में कविता घुमड़ने लगती हैं....
मन खुश हुआ हरसिंगार के हर रंग से...सुन्दर शब्द संयोजन...
सस्नेह.
हमारा कमेंट गया स्पाम में...खोजो भई खोजो..
ReplyDeleteबढिया,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
अच्छा लगा .
ReplyDeleteमैडम बहुत खूब |
ReplyDeleteaap sabhi ka hradaye se shukriya , tushar ji , yashwant ji , anu ji , mahendra ji .
Deleteबहुत ही सुंदर महकती हुई रचना ,चारों तरफ हरसिंगार की खुशबू फ़ैल गयी ,शशि जी बहुत -बहुत धन्याद इतनी प्यारी रचना के लिए .....
ReplyDeleteवाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर रचना,
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
MY RECENT POST ...फुहार....: बस! काम इतना करें....
बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बहुत प्यारी कविता
ReplyDeleteबधाई
खुशबूओं से लबरेज और उनका मनमोहक खिलना उसपर गजब का लिखना कमाल हे शशि जी ! बधाई स्वीकार करें !
ReplyDeleteharsingar ki khushboo se mahakti ye post sundar hai.
ReplyDeleteहरसिंगार के हर रंग से मन खुश हुआ अति सुन्दर लिखा है
ReplyDeleteAdwitiya. Anupam. Aaj pehli baar aapko padha.
ReplyDeleteSukoon mila padh k.
कविता से वासंती महक आ रही है.
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति के लिये बहुत बधाई.
हरसिंगार की खुशबू बैचैन कर देती है ... बहुत ही मधुर मनमोहक फूल को इन पंक्तियों में कैद किया है ...
ReplyDeleteHR SINGAR KI RACHANA BAHUT HI SUNDAR LAGI WAH KYA KHOOB LIKHA HAI APNE SHASHI JI .....
ReplyDeleteHR INGAR TO AK BAHUT GUNKARI AUSHADHI BHI HAI ....GATHIYA SE PEEDIT LOGO KE LIYE TO RAMBAN HAI.
Bahut hi sundar...I traveled back to my hindi literature days. Actually my mom reads a lot of hindi literature and she would have loved it!
ReplyDeletebehtarahen....shashi ji aapki har kavita ki tarah,sundar rachnatmak sabd! felt like in a garden of flowers! beautiful visual imagery of words.Thanks for sharing.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर एवं सारगर्भित रचना । मेरे नए पोस्ट "अमृत लाल नागर" पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति!!
ReplyDelete
ReplyDelete♥
लजाती मोहिनी शेफ़ाली
मुस्काता चंचल बसंत
प्राकृतिक सौंदर्य की पराकाष्ठा
अप्रतिम अतुल्य
ईश्वरीय सृजन !
आहाऽऽहाऽऽऽ… ! इतना मनभावन चित्रण कुदरत की कारीगरी का !
वाह वाह !
शशि जी
कमाल हैं आप भी !
बहुत सुंदर कविता के लिए हृदय से आभार और बधाई !
इससे पहले की जो एक-दो प्रविष्टियां पढ़ने से छूट गई थीं , अभी उनका भी रसास्वादन किया है …
आपका लेखन उत्तरोतर प्रगति पथ पर अग्रसर हो , यही कामना है …
*महावीर जयंती* और *हनुमान जयंती*
की शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bhavon aur shabdon se mahakta huaa sa geet hai
ReplyDeletebadhai
rachana