shashi purwar writer
Monday, June 18, 2012
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
समीक्षा -- है न -
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
https://sapne-shashi.blogspot.com/
-
मेहंदी लगे हाथ कर रहें हैं पिया का इंतजार सात फेरो संग माँगा है उम्र भर का साथ. यूँ मिलें फिर दो अजनबी जैसे नदी के दो किनारो का...
-
हास्य - व्यंग्य लेखन में महिला व्यंग्यकार और पुरुष व्यंग्यकार का अंतर्विरोध - कमाल है ! जहां विरोध ही नही होना चाहिए वहां अ...
-
साल नूतन आ गया है नव उमंगों को सजाने आस के उम्मीद के फिर बन रहें हैं नव ठिकाने भोर की पहली किरण भी आस मन में है जगाती एक कतरा धूप भी, ...
linkwith
🏆 Shashi Purwar — Honoured as 100 Women Achievers of India | Awarded by Maharashtra Sahitya Academy & MP Sahitya Academy
अरे बरसेंगे .........
ReplyDeleteज़रूर बरसेंगे.........
तन मन की प्यास भी बुझेगी..............
सुन्दर रचना.
आज तो दिल्ली का मौसम खुशगवार हो गया है . आपके आह्वान का असर है शायद.
ReplyDeleteबारिश की पहली फुहार ने मौसम को खुशगवार बना दिया,,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
बेहतरीन अभिव्यक्ति शशि जी
ReplyDeleteइंद्र को बुलाने का खूबसूरत अंदाज़ ...
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
तपती गर्मी में तुमसे
ReplyDeleteदो बात हो जाए
दिल को ठंडक
मन को सुकून मिल जाए
फ़िज़ा में बरखा का
अहसास हो जाए
मिट्टी की भीनी सुगंध
साँसों में बस जाए
मन झूम झूम प्रेम
गीत गाये
तपती गर्मी में तुमसे
दो बात हो जाए
बहुत ही खूबसूरती से जून की तपन को अभिव्यक्त किया है...
ReplyDeleteबस मेघ छने वाले ही हैं ..... धरा की प्यास बुझाने वाले हैं .... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDelete