Tuesday, August 7, 2012

नेह बरसते........

 मौसम सुहाना
श्रावण का बहाना
सावनी तीज में
रिमझिम रिमझिम
 सलोनो पे
नेह बरसते.

 चंचल बचपन 
रूसना  - मनाना 
लड़ना - झगड़ना
खेलते - हँसते ,
मृदुल  मानस
 पटल पे 
अंकित मधुर
 स्नेह के 
पक्के रिश्ते .

बदली बेला की
परिपाटी
किया सोलह श्रृंगार 
जवानो के संग 
बहना भी तैयार ,
ह्रदय  में सरगर्मी 
मन में झंकार 
उबलता लहू 
मर मिटने को बेताब 
गर्व से फूली छाती 
नूर नैनो में भरते .


 निमित्त भाव 
 मधुर बेला  में
  सुशोभित 
 तिलक ललाट 
 पाणी मूल पे रक्षा सूत्र
अधरों पे विजयगान  
अग्रज तुम्हारे खंधो पे 
 है  वतन का  मान 
 गर्मजोशी भरे क्षण 
करते सरहद पे विदा 
पर नयनो से  
मोती न झरते .

एक नयी पहल 
संरक्षित  हो 
हरित चादर 
बांध तरुवर को तागा
जेठ से किया वादा
खिलेगी  सलोनी धरा 
बरसेंगे  फूल ,होगा 
अवनि का  उपहार 
कर श्रावण का बहाना 
इन्द्र भी झमाझम बरसते . 

सुखमय पल 
जीवन भर
होती  मधुर यादें
रक्षाबंधन की सौगात 

स्नेह और मिलन 
का  पर्व 
वचन का पालन 
वादों का सम्मान 
रेशमी डोर से बंधे
 ये रिश्ते खूब फलते . 

       ---शशि पुरवार



 





  




 
  
 

14 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया

    सादर

    ReplyDelete
  2. रिमझिम फुहार से रिश्तों तक सब सुहाना !

    ReplyDelete
  3. Replies
    1. yashwant ji ,swati ji vaani ji kajal kumar ji , aap sabhi ka bahut bahut shukriya .

      Delete
  4. बहुत कोमल भावनाओं से पिरोया है ... यादों के इस हसीन झरोखे को ...
    रक्षा बंधन की शुभकामनायें ...

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर भावमय शब्द चित्र ...

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर शशि जी

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर....
    रुसना "मनाना" क्यूँ नहीं लिखा...??पटाना शब्द ज़रा खटका.आपकी रचना के स्तर से ज़रा कमतर लगा.:-)
    सस्नेह
    अनु

    ReplyDelete
  8. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

    ReplyDelete
  9. यूँ ही नेह बरसता रहे, रिमझिम पड़े फुहार
    सावन माह में पड़ते सदा,नए नए त्यौहार,,,,,,

    बहुत कोमल भावों सजी सुंदर रचना,,,,,
    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,

    ReplyDelete
  10. क्या बात ! बहुत खूब |

    ReplyDelete
  11. स्नेह बरसाती रचना ...

    ReplyDelete
  12. बहुत खुबसूरत रचना है दी ..... :-)

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.



समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

http://sapne-shashi.blogspot.com