1सिंदूरी आभा
सुनहरा गहना
साँझ है सजी .
2 अम्बर संग
अवनि का मिलन
संध्या बेला में
3 सुनहरा है
प्रकृति का बंधन
स्वर्णिम पल
4 उषाकाल में
केसरिया चुनर
हिम पिघले .
5 शूल जो मिले
हम तो नहीं हारे
छु के गगन .
6 छु लिया जहाँ
मिला श्रम का मोल
सुहानी भोर
7 सुनहरा है
आने वाला सबेरा
नया जीवन
8 पाया है जहाँ
सुनहरा आसमां
कर्मो से सजा .
9 हरीतिमा की
भीनी चदरिया
सावन भादो
10 नयना प्यासे
प्रभु दरसन के
सुनो अरज
11 पाखी है मन
चंचल चितवन
नैना सलोने .
-शशि पुरवार
बहुत प्यारी और अर्थमयी क्षणिकायें।
ReplyDeleteउषाकाल में
ReplyDeleteकेसरिया चूनर
हिम पिघले
बहुत ही सुंदर। बेजोड़ हैं, सभी हाइकू।
सभी हाइकु बहुत सुंदर .....!!
ReplyDeleteशुभकामनायें ....!!
lajavab haiku hai badhai
ReplyDeleterachana
भावों से पूर्ण
ReplyDeleteहै हाइकु
अंतर्मन को छूती
उषाकाल में
ReplyDeleteकेसरिया चूनर
हिम पिघले,,,,
बेहतरीन भावों से परिपूर्ण हाइकू ,,,,,,शशि जी,बधाई,,,,
MY RECENT POST: माँ,,,
बहुत सुन्दर हायेकु शशि.....
ReplyDeleteप्रकृति के सभी रंग लिए...
सस्नेह
अनु
बेहद खूबसूरत रंगों से सजे मनभावन हाइकु पढ़कर मन खुश हो गया, बधाई शशि जी :))
ReplyDeleteशशि जी ११ की ११ हाइकु एक से बढ़कर एक लिखी है आपने, पढ़कर तरोताजा हो गया, खूबसूरत बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteबहुत खूब ....कमाल के हाइकु
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण हाइकू !
ReplyDeleteसादर !!!
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
sabhi mitro ka tahe dil se aabhar aapne apne anmol shabdo se hamen gauranvit kiya .........shashi purwar
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