व्यंजना को लफ्जों से सजाऊं
तुम उदधि मै सिंधुसुता सी
गहराई में समां जाऊं
तुम साहिल में तरंगिणी सी
बहती धारा बन जाऊं
तुम अम्बर मै धरती बन
युगसंधि में खो जाऊं
तुम शशिधर मै गंगा सी
बस शिरोधार्य हो जाऊं
तुम आतप मै छाँह सी
प्रतिछाया ही बन जाऊं
तुम दीपक मै बाती बन
नूर दे आपही जल जाऊं
तुम रूह हो मेरे जिस्म की
तुम्हारी अंगरक्षी बन जाऊं
न होगा तम जीवन में कभी
चांदनी बनके खिल जाऊं
तुम धड़कन हो मेरे दिल की
स्मृति बन साँसों में बस जाऊं
मौत भी न छू सकेगी मेरे माही
हर्षित मै रूखसत हो जाऊं
न कोई गीत ,न बहर, न गजल
व्यंजना को लफ्जों से सजाऊं
-----शशि पुरवार
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर......
ReplyDeleteएहसासों की अभिव्यक्ति में नियमों का कैसा बंधन....
वाह..
सस्नेह
अनु
A++ :))
ReplyDeletepyara rishta...:) "sirf tum "
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteशब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
ReplyDeleteसमर्पण की शानदार अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसादर
अहसासों की लाजबाब रचना ,,,,वाह बहुत बढ़िया,,,
ReplyDeleteRECENT POST LINK...: खता,,,
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ReplyDelete#
Huma Kanpuri First class first.
16 hours ago · Unlike · 2
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श्रीकान्त मिश्र 'कान्त' शशि पुरवार जी ... !
आज आपको रचना के आलोक में पहचानना भी कठिन हो गया। साथ ही ऊपर भाई हुमा जी की टिप्पणी तो सोने पर सुहागा ...
बहुत सुन्दर .... ! अप्रतिम ... !! अद्भुत ..!!!...See More
15 hours ago · Unlike · 2
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Shashi Purwar aapki pratikriya ne urja aur atmik anubhuti se paripurn kar diya lekhni safal hui hamari , aapka sneh bana rahe , .
13 hours ago · Like · 2
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Rajneesh Sachan shashi ji ...waaqai aapne vyanjana ko alfaaz diye aur khoob diye.
dil se daad haazir hai.
12 hours ago · Unlike · 2
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Akhtar Ansar Kidwai Sundar!
11 hours ago · Unlike · 1
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Madan Mohan Sharma अति सुन्दर.......... अति श्रेष्ठ.............
7 hours ago via mobile · Unlike · 1
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Madan Mohan Sharma अति सुन्दर.......... अति श्रेष्ठ.............
7 hours ago via mobile · Unlike · 1
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Seema Agrawal bahut sundar likha hai shashi aapane ......hardik badhaaii
5 hours ago · Unlike · 1
Vivek Upadhyay Ahsas आज इस शहृ में पहुंचे हैं तो रुक जाते हैं
होंगे रुख्सत तो नया एक सफ़र आएगा
चिलचिलाहट भरी इस धूप में चलते चलते
जाने कब छांव घनी देता शजर आएगा
16 hours ago · Unlike · 1........FACEBOOK FRIENDS KI CHAND SMRATIYAAN .
SABHI BLOOGAR MITRO KI TAHE DIL SE AABHARI HOON JINHONE RACHNA KO PASAND KIYA AUR ANMOL SHABDO SE PROTSAAHAN BAHDAYA
Deleteबहुत सुन्दर शब्द चयन के साथ सुन्दर कविता |
ReplyDeleteआपका लेखन बहुत संजीदा भी है, सौम्य और समपर्ण-शिष्ट भी। कविता ऐसे समृद्ध मानस को अपनी वाणी के रूप में पाकर सार्थक हो जाती है।
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचना शशि जी, हर लफ्ज़ प्यार की पराकाष्ठा ....
ReplyDeleteकोमल भावनाओं को व्यक्त करती सशक्त पंक्तियाँ...
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना..अच्छी लगी..
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना |
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग मे पधारे और जुड़ें |
मेरा काव्य-पिटारा
जानदार प्रस्तुति
ReplyDeleteतुम शशिधर मैं गंगा सी ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावनाएं ...बहुत कुछ कह जाती हैं !
मंगल कामनाएं आपको !
शशि जी, बिलकुल नए अंदाज़ में लिखा गया यह गीतमन की गहराई में उतर गया। शुभकामनाएँ।
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