न झुकाऒ तुम निगाहे कहीं रात ढल न जाये .....
यूँ न मुझसे रूठ जाओ मेरी जाँ निकल न जाये
तेरे इश्क का जखीरा मेरा दिल पिघल न जाये
मेरी नज्म में गड़े है तेरे प्यार के कसीदे
मै जुबाँ पे कैसे लाऊं कहीं राज खुल न जाये
मेरी खिड़की से निकलता मेरा चाँद सबसे प्यारा
न झुकाओ तुम निगाहे कहीं रात ढल न जाये
तेरी आबरू पे कोई कहीं दाग लग न पाये
मै अधर को बंद कर लूं कहीं अल निकल न जाये
ये तो शेर जिंदगी के मेरी साँस से जुड़े है
मेरे इश्क की कहानी ये जुबाँ फिसल न जाये
ये सवाल है जहाँ से तूने कौम क्यूँ बनायीं
ये तो जग बड़ा है जालिम कहीं खंग चल न जाये
---- शशि पुरवार
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
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आपने लिखा....
ReplyDeleteहमने पढ़ा....
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इसलिए शनिवार 04/05/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
waah .....
ReplyDeletekhubsurat bhawon se saji rachna
ReplyDeleteaapki har kavita ya gajal
bhawon se lavrej hoti hai..
bahut khub......
आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteकृपया पधारें
बहुत खूब..भावपूर्ण..
ReplyDeleteवाह ....बहुत सुन्दर ....शशि जी ...!!
ReplyDeleteलाजबाब सुंदर गजल ,,,शशि जी,
ReplyDeleteRECENT POST: मधुशाला,
waah bahut khub
ReplyDeleteप्रेम में पगी खूबसूरत ग़ज़ल |
ReplyDeleteतेरी आबरू पे कोई कहीं दाग लग न पाये
ReplyDeleteमै अधर को बंद कर लूं कहीं अल निकल न जाये
---हाँ यही है प्रेम ..सुन्दर प्रेम ग़ज़ल ...शशि जी ...
'ये सवाल है जहाँ से तूने कौम क्यूँ बनायीं
ये तो जग बड़ा है जालिम कहीं खंग चल न जाये '
--- देखने में यह शेर प्रेम के क्रमिक भाव से असम्पृक्त लगता है ...परन्तु यह अन्योक्ति में है और जाति , वर्ग , धर्म द्वारा प्रेम पर अंकुश पर चोट है ....बहुत सुन्दर बधाई....
bahut achhi panktiyaan hain shashiji
ReplyDeleteये तो शेर जिंदगी के मेरी साँस से जुड़े है
ReplyDeleteमेरे इश्क की कहानी ये गजल भी कह न जाये -भावों से भरी हर पंक्ति खुबसूरत है ,लेकिन मुझे ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी!
lateast post मैं कौन हूँ ?
latest post परम्परा
बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.
ReplyDeleteमेरी नज्म में गड़े है तेरे प्यार के कसीदे
ReplyDeleteमै जुबाँ पे कैसे लाऊं कहीं राज खुल न जाये.
अदभुत भाव. सुंदर प्रस्तुति.
bahut sunder gjl
ReplyDeletesunder gjl !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 30 मई 2023 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमेरी खिड़की से निकलता है मेरा चाँद सबसे प्यारा
ReplyDeleteन झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात न ढल जाये
... बहुत खूब लिखा है
अति उत्तम सृजन
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना।
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