दिल का पैगाम साहिबा लाया ..........
दिल का पैगाम साहिबा लाया
छंद भावो के फिर सजा लाया।
बात दिल की कही अदा से यूँ
प्यार उनका मुझे लुभा लाया।
भाग का खेल जब करे बिछडन
ये कहाँ प्यार में सजा लाया।
सात वचनों जुडा था ये बंधन
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया।
प्यार मरता नहीं कभी दिल में
याद तेरी सदा जिला लाया।
धूप में जल रहे ज़माने की
याद उनकी नर्म दवा लाया।
कल्पना में सदा रहोगे तुम
रात ये चाँद से हवा लाया।
आज जीने का रास्ता पाया
चाँद उनसे मुझे मिला लाया।
--------- शशि पुरवार
२५ .० ५ .१ ३
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज सोमवार (03-06-2013) को फिर वोही गुज़ारिश :चर्चा मंच 1264 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपने लिखा....
ReplyDeleteहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 05/06/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
आज जीने का रास्ता पाया
ReplyDeleteचाँद उनसे मुझे मिला लाया।
Behad sundar! Aap sada aapke apnon se miltee rahen!
खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव पिरोये हैं।
ReplyDeleteबेहद सुन्दर भाव,आज जीने का रास्ता पाया
ReplyDeleteचाँद उनसे मुझे मिला लाया।
बहुत सुन्दर भाव ,सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteLATEST POSTअनुभूति : विविधा ३
latest post बादल तु जल्दी आना रे (भाग २)
अच्छी रचना. बेहतरीन
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या बात
अति सुन्दर रचना...
ReplyDelete:-)
सात वचनों जुडा था ये बंधन
ReplyDeleteफिर मिलेंगे अगर खुदा लाया..
मिलने वाले जरूर मिलते हैं .. खुदा खुद मिलाता है ... बहुत खूब ..
सुन्दर गज़ल ...
sabhi mitro ka tahe dil se abhaar , apke anmol shabd hamare liye bhi anmol hai sada saath rahenge yeh yaad bankar
ReplyDeleteकल्पना में सदा रहोगे तुम
ReplyDeleteरात ये चाँद से हवा लाया।
कल्पना और अफसाने हकीकत में बदले जा सकते हैं आवश्यकता शिद्दत से प्रयास की है
प्यार मरता नहीं कभी दिल में
ReplyDeleteयाद तेरी सदा जिला लाया।
sacchi bat .......
वाह शशि जी बहुत ही खुबसूरत गजल
ReplyDeleteबधाई स्वीकारें
बहुत ही खुबसूरत गजल..........शशि जी
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ४ /६/१३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का वहां हार्दिक स्वागत है ।
ReplyDeleteसात वचनों जुडा था ये बंधन
ReplyDeleteफिर मिलेंगे अगर खुदा लाया।
बहुत सुंदर भावपूर्ण गजल ,,,
recent post : ऐसी गजल गाता नही,
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteनई पोस्ट
क्या आपको अपना मोबाइल नम्बर याद नहीं
sunder prastuti.
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