फूल राहों खिला उठा लाया
नाम अपना दिया जिला लाया
भीड़ जलने लगी बिना कारण
बात काँटों भरी विदा लाया
लुट रही थी शमा तमस में फिर
रौशनी का दिया बना लाया
शर्म आती नहीं लुटेरों को
पाठ हित का उसे पढ़ा लाया
बैर की आग जब जली दिल में
आज घर अपना वो जला लाया
गिर गया आज फिर मनुज कितना
नार को कोख में मिटा लाया
प्यार से सींचा फिर जिसे मैंने
उसका घर आज मै बसा लाया
खुश रहे वो सदा दुआ मेरी
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया .
-- शशि पुरवार
26.05.13
नमस्ते मित्रो --- मेरे जीवनसाथी की तबियत नासाज है इसीलिए लेखन और अंतरजाल से दूर हूँ , बहुत परेशान हूँ ..... सब ठीक होने के बाद पुनः आपसे आपके ब्लॉग पर मिलूंगी , अपना स्नेह बनाये रखें .
खुश रहे वो सदा दुआ मेरी
ReplyDeleteफिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,,,वाह वाह ,,,
बहुत सुंदर गजल ,,,
recent post : मैनें अपने कल को देखा,
बहुत ही सुन्दर रचना।
ReplyDeleteखुश रहे वो सदा दुआ मेरी
ReplyDeleteफिर मिलेंगे अगर खुदा लाया .
-- jarur milenge .....shubhkamnaayen aapko ....
नमस्कार
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल बुधवार (12-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
गहन अभिव्यक्ति शशि जी ....!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गहन अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
वाह शशि....
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल..
सस्नेह
अनु
वाह बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteजय हो ... लाजबाव रचना |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (12-06-2013) को बुधवारीय चर्चा --- अनवरत चलती यह यात्रा बारिश के रंगों में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब !!
ReplyDeleteबैर की आग जब जली दिल में
ReplyDeleteआज घर अपना वो जला लाया
बहुत लाजवाब शेर है ... पूरी गज़ल खूबसूरत शेरों से सजी गज़ल ...
आपके जीवन साथी के स्वास्थ के लिए हमारी शुभकामनायें हैं ..
बहुत सुंदर, बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
सुंदर गजल
ReplyDeleteबेहतरीन व लाजवाब
ReplyDeleteसाभार !
गिर गया आज फिर मनुज कितना
ReplyDeleteनार को कोख में मिटा लाया
बहुत सुन्दर !!
मन के विचारों को सार्थकता से व्यक्त करती
ReplyDeleteवर्तमान की रचना,सुंदर अनुभूति
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह है- पापा ---------
आपने लिखा....
ReplyDeleteहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए शनिवार 22/06/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
बेहतरीन प्रस्तुति....
ReplyDeleteमन के मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDelete
ReplyDeleteगिर गया आज फिर मनुज कितना
नार को कोख में मिटा लाया
प्यार से सींचा फिर जिसे मैंने
उसका घर आज मै बसा लाया
खुश रहे वो सदा दुआ मेरी
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया .
बहुत सुन्दर भावो की अभिवयक्ति .
बेहतरीन प्रस्तुति....
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDelete