मनमोहन का जाप जपे है
साँस साँस अब मोरी
नटखट कान्हा ने गोकुल में
कितने स्वाँग रचाये
कंकर मारे, मटकी तोड़ी
माखन-दही चुराये
यमुना तीरे पंथ निहारे
हरिक गाँव की छोरी
जग को अर्थ प्रेम का सच्चा
मोहन ने समझाया
राधा-मीरा, गोप-गोपियाँ
सबने श्याम को पाया
उनकी बंसी-धुन को सुनना
चाहे हर इक गोरी
वृन्दावन की कुंज गलिन में
मन मोरा रम जाए
कान्हा-कान्हा हिया पुकारे
कान्हा नजर न आये
मै तो मन ही मन खेलूँ हूँ
- शशि पुरवार
२१ / ०८ / १३
साँस साँस अब मोरी
नटखट कान्हा ने गोकुल में
कितने स्वाँग रचाये
कंकर मारे, मटकी तोड़ी
माखन-दही चुराये
यमुना तीरे पंथ निहारे
हरिक गाँव की छोरी
जग को अर्थ प्रेम का सच्चा
मोहन ने समझाया
राधा-मीरा, गोप-गोपियाँ
सबने श्याम को पाया
उनकी बंसी-धुन को सुनना
चाहे हर इक गोरी
वृन्दावन की कुंज गलिन में
मन मोरा रम जाए
कान्हा-कान्हा हिया पुकारे
कान्हा नजर न आये
मै तो मन ही मन खेलूँ हूँ
- शशि पुरवार
२१ / ०८ / १३
हर बाला के मन की चाह
ReplyDeleteसुने बाँसुरी तोरी .
कान्हा नजर न आये
वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में
मन मोरा रम जाए
कान्हा - कान्हा हिय पुकारे
मै तो मन ही मन खेलूँ हूँ
भक्ति -भाव की होरी .
प्रभावशाली प्रस्तुति
आपकी यह रचना कल बुधवार (28-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण : 99 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteसादर
सरिता भाटिया
बहुत सुंदर
ReplyDeleteभक्ति -भाव की प्रभावशाली प्रस्तुति
ReplyDeleteजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
RECENT POST : पाँच( दोहे )
बहुत ही खूबसूरत और मासूम , निश्छल रचना । जनमाष्टमी की शुभकामनाएं आपको
ReplyDeleteकान्हा सबको खूब छकाये, हमको नजर न आये
ReplyDeleteजनमाष्टमी की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति......श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें......
ReplyDeleteaapisase bhi behatar likh sakati ho
ReplyDelete♥ जय श्री कृष्ण ♥
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♥ जय श्री कृष्ण ♥
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं !
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जग को प्रेम का गूढ़ अर्थ
मोहन ने समझाया
राधा , मीरा या गोपियां
सबने श्याम को पाया
हर बाला के मन की चाह
सुने बांसुरी तोरी
वाऽहऽऽ…! सुंदर गीत है !
आदरणीया शशि पुरवार जी
श्रेष्ठ सुंदर सृजन के लिए साधुवाद !
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मंगलकामनाओं सहित...
राजेन्द्र स्वर्णकार