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बिछड़ गये है सारे अपने
संग-साथ है नहीं यहाँ,
ढूँढ रहा मन पीपल छैंयाँ
ठंडी होती छाँव जहाँ.
छोड़ गाँव को, शहर आ गया
अपनी ही मनमानी से,
चकाचौंध में डूब गया था
छला गया, नादानी से
मृगतृष्णा की अंधी गलियाँ
कपट द्वेष का भाव यहाँ
दर्प दिखाती, तेज धूप में
झुलस गये है पाँव यहाँ,
सुबह-साँझ, एकाकी जीवन
पास नहीं है, हमजोली
छूट गए चौपालों के दिन
अपनों की मीठी बोली
भीड़ भरे, इस कठिन शहर में
खुली हवा की बाँह कहाँ
ढूंढ़ रहा मन फिर भी शीतल
पीपल वाली छाँव यहाँ।
--- २ जून - २०१४
बिछड़ गये है सारे अपने
संग-साथ है नहीं यहाँ,
ढूँढ रहा मन पीपल छैंयाँ
ठंडी होती छाँव जहाँ.
छोड़ गाँव को, शहर आ गया
अपनी ही मनमानी से,
चकाचौंध में डूब गया था
छला गया, नादानी से
मृगतृष्णा की अंधी गलियाँ
कपट द्वेष का भाव यहाँ
दर्प दिखाती, तेज धूप में
झुलस गये है पाँव यहाँ,
सुबह-साँझ, एकाकी जीवन
पास नहीं है, हमजोली
छूट गए चौपालों के दिन
अपनों की मीठी बोली
भीड़ भरे, इस कठिन शहर में
खुली हवा की बाँह कहाँ
ढूंढ़ रहा मन फिर भी शीतल
पीपल वाली छाँव यहाँ।
--- २ जून - २०१४
गुज़रते समय के साथ सब कुछ छूट जाता है यादों के सिवा ....
ReplyDeleteमन के भाव लिख दिए आपने ...
Nostalgic!
ReplyDeleteप्रखर यादें ....निखारे भाव ....सुंदर अभिव्यक्ति शशि जी ...!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteराजेंद्र मेहता,नीना मेहता के एक पुराने गीत की याद ताजा हो आई.........
एक प्यारा सा गाँव
जिसमें पीपल की छांव .....
नई पोस्ट : अपेक्षाओं के बोझ तले सिसकता बचपन
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन आज की बुलेटिन, रेल बजट की कुछ खास बातें - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeletesundartam !!
ReplyDeleteVery nice Shashi.Sharing on fb:)
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteनई रचना मेरा जन्म !
..सुंदर अभिव्यक्ति शशि जी
ReplyDeleteसच कहती पंक्तियाँ .
Recent Post …..दिन में फैली ख़ामोशी
कल 11/जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
कितना कुछ खो दिया थोडा सा पाने को...बहुत मर्मस्पर्शी रचना..
ReplyDeleteमन के भाव लिख दिए आपने ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteआप सभी के स्नेह से अभिभूत हूँ , आप सबकी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु तहे दिल से आभार .
ReplyDeleteस्वागत है , खूबशूरत चित्र उकेरा है आप ने आज की भागमभाग जिंदगी की
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteकहने को भले ही यादें हो ,
ReplyDeleteपर मन में अब भी ताज़ा हैं... सुन्दर भावाव्यक्ति
विगत स्म़तियों की गंध समेट सुन्दर कविता - पर अब वहाँ वैसा कुछ नहीं है !
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteवे दिन तो अब सिर्फ यादों में बाक़ी हैं...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
ReplyDeletepurani yaado ka jhonka baha diya .. bahut acchi kavita ji
ReplyDeletepurani yaado ka jhonka baha diya .. bahut acchi kavita ji
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