1
शीत काल में
केसर औ चन्दन
काया दमके .
2
अलसाये से
तृण औ लतिकाए
चाँदी चमकी .
3
सर्दी है आई
गुड की चिक्की भाई
अलाव जले .
4
हिम से जमे
ह्रदय के जज्बात
मै को से कहूं .
5
श्वेत रजाई
धरा को खूब भाई
कण दमके .
6
सर्द मौसम
सुलगती है पीर
नीर न बहे .
7
तन्हा सड़क
कंपकपाती राते
चाँदनी हँसे .
8
खोल खिड़की
आई शीत लहर
भानु भी डरा .
9
थकित मन
दूर बैठी मंजिल
राहे चलती .
----शशि पुरवार
--------------------------------------------------------------------
तांका --
1 .
झरते कण
अब ढँक रहे थे
वृक्ष औ रास्ते
हम तुम भी साथ
जम गए जज्बात .
2
सर्द मौसम
सुनसान थे रास्ते
और किनारे
कोई सिमट रहा
था, फटी कामरी में .
3
भाजी बहार
टमाटर लाल औ
गाजर संग
सूप की भरमार
लाल हुए है गाल .
4
मटर कहे
मेरी है बादशाही
गाजर बोली
सूप हलुआ लायी
सब्जियों की लड़ाई .
5
जमती साँसे
चुभती है पवन
फर्ज प्रथम
जवानों की गश्त के
बर्फीले है कदम .
शशि पुरवार
शीत काल में
केसर औ चन्दन
काया दमके .
2
अलसाये से
तृण औ लतिकाए
चाँदी चमकी .
3
सर्दी है आई
गुड की चिक्की भाई
अलाव जले .
4
हिम से जमे
ह्रदय के जज्बात
मै को से कहूं .
5
श्वेत रजाई
धरा को खूब भाई
कण दमके .
6
सर्द मौसम
सुलगती है पीर
नीर न बहे .
7
तन्हा सड़क
कंपकपाती राते
चाँदनी हँसे .
8
खोल खिड़की
आई शीत लहर
भानु भी डरा .
9
थकित मन
दूर बैठी मंजिल
राहे चलती .
----शशि पुरवार
तांका --
1 .
झरते कण
अब ढँक रहे थे
वृक्ष औ रास्ते
हम तुम भी साथ
जम गए जज्बात .
2
सर्द मौसम
सुनसान थे रास्ते
और किनारे
कोई सिमट रहा
था, फटी कामरी में .
3
भाजी बहार
टमाटर लाल औ
गाजर संग
सूप की भरमार
लाल हुए है गाल .
4
मटर कहे
मेरी है बादशाही
गाजर बोली
सूप हलुआ लायी
सब्जियों की लड़ाई .
5
जमती साँसे
चुभती है पवन
फर्ज प्रथम
जवानों की गश्त के
बर्फीले है कदम .
शशि पुरवार