Thursday, April 4, 2013

कलम जरा टेक लगाओ .........






कवि ह्रदय में बजते है
जज्बातों के चंग
कलम जरा टेक लगाओ .


पल पल बदले नयनो का 
सतरंगी बसंत
भावों का पंछी बहके
जन्में पद अनंत,

मन बावरा फिर कहे
खूब सुरीले छंद

कलम जरा टेक लगाओ।

कहीं बबूल कहीं फूल
की छन रही है भंग
अरहर सरसों पी रहे
कलियाँ भी है संग

भौरें नाचे बाग़ में
मच गयी हुरदंग
कलम जरा टेक लगाओ।


पूनो का चाँद खिला,करें
तारो से बतियाँ
अमा का नाग डसे, तो
छिटक जाए सखियाँ

तन्हाई की बेला में
शब्द बजाते मृदंग 

कलम जरा टेक लगाओ।


टेसू से दहक रहा वन
उदासी भी लुढके
शाखों पर अमराई
मुस्काए छुप छुपके

बार बार नहीं दिखाता
मौसम अपने रंग
कलम जरा टेक लगाओ।
3/04/13
 -----शशि पुरवार











19 comments:

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. बेहद सुन्दर रचना,आभार.

    ReplyDelete
  3. सही है ... कई बार ही नज़रें देख पाती हैं ... भरपूर प्राकृतिक आनंद भर लेना चाहिए ...

    ReplyDelete
  4. सुंदर अनुभूति
    मर्म को छूती रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना!
    http://charchamanch.blogspot.in/
    चर्चा मंच परिवार आपका स्वागत करता है!

    ReplyDelete
  6. वाह दीदी.... बेहद उम्‍दा :-)

    ReplyDelete
  7. शशि जी बिलकुल अछूते बिम्बों से सजी कविता अच्छी लगी |

    ReplyDelete
  8. .भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार आ गयी मोदी को वोट देने की सुनहरी घड़ी .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर ..बधाई

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर रचना.........

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, क़लम की शक्ति अप्रतिम है।

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  13. बहुत ही सुन्दर गीत ....शशि जी

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.



समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

http://sapne-shashi.blogspot.com