Monday, April 15, 2013

राहे चलती

 1
शीत काल में
केसर औ  चन्दन
काया दमके  .
2
अलसाये से
तृण औ लतिकाए
चाँदी चमकी  .
3
सर्दी  है आई
गुड की चिक्की भाई
अलाव जले  .
4
हिम से जमे
ह्रदय के जज्बात
मै को से कहूं .
5
श्वेत  रजाई
धरा को खूब भाई
कण दमके .
6
सर्द मौसम
सुलगती है पीर
नीर न बहे .
7
तन्हा सड़क 
कंपकपाती राते
चाँदनी हँसे .
8
खोल खिड़की
आई शीत लहर
भानु भी डरा .

9
 थकित मन
दूर बैठी मंजिल
राहे चलती . 
  ----शशि पुरवार

--------------------------------------------------------------------
तांका --

1 .
झरते कण
अब ढँक रहे थे
वृक्ष औ रास्ते
हम तुम भी  साथ
जम गए जज्बात .
2
सर्द मौसम
सुनसान थे रास्ते
और  किनारे
कोई सिमट रहा
था, फटी कामरी में .
3
भाजी बहार
टमाटर लाल औ
गाजर संग
सूप की भरमार
लाल हुए है गाल .
4
मटर कहे
मेरी है बादशाही
गाजर बोली
सूप हलुआ लायी
सब्जियों की लड़ाई .
5
जमती साँसे
चुभती है पवन
फर्ज प्रथम   
जवानों की गश्त के
बर्फीले है कदम .

शशि पुरवार

17 comments:

  1. बहुत उम्दा,हाइकू और तांका, आभार शशि जी,
    Recent Post : अमन के लिए.

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज मंगलवार (16-04-2013) के मंगलवारीय चर्चा ---(1216) ये धरोहर प्यार की बेदाम है (मयंक का कोना) पर भी होगी!
    नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ...सादर!

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  3. बहुत उम्दा,हाइकू .एक से बढ़ कर एक ......... शशि जी

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  4. बहुत सुंदर .... हाइकु और तांका दोनों ही प्रभावशाली

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  5. वाह...
    बहुत बढ़िया!!!
    हायकू और तांका भी..दोनों ही लाजवाब!!

    अनु

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  6. बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति
    पधारें "आँसुओं के मोती"

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  7. विचारपूर्ण भावुक
    गहन अनुभूति
    सुंदर रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों

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  8. श्वेत रजाई
    धरा को खूब भाई
    कण दमके ...

    उम्दा हाइकू ओर गज़ब के तांका ... गर्मी में शरद का एहसास करा दिया ...
    बहुत खूब ..

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  9. वाह !!! बहुत बेहतरीन सुंदर हाइकू और तांका ,आभार,

    RECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.

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  10. सुंदर हाइकू .अच्छी प्रस्तुति .बधाई .

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  11. उत्तम भाव.
    आभार.

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  12. सुंदर हाईकु व तांका !
    सर्दियों की याद दिला दी आपने शशि जी... :)
    ~सादर!!!

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  13. भूल गईं दहशतगर्दी,
    चैत की पलास-पगड़ी देख
    खिसक गई सर्दी!

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  14. बहुत बहुत सुंदर. कम शब्दों में बात कहना अपने आप में चुनौती है... आप ने इस चुनौती को सटीकता से सम्हाला है -अभिनन्दन-

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