shashi purwar writer

Monday, April 1, 2013

खामोश पन्ने।





1
स्याही है स्वप्न
जीवन में बिखरे
खामोश पन्ने।
2
फासले बढे
दूर हो गए रास्ते
मंजिल कहाँ।
3
छुए किनारा
भावुक है लहरे
आँखों का पानी
4
संत दीखता
ठूंठ सा खड़ा वृक्ष
जर्जर हुआ .
5
खाली घरोंदा
चुपके से आई है
यादें तुम्हारी
---- शशि पुरवार

15 comments:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार2/4/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है

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  2. बहुत ही सुन्दर, थिरकते शब्द, नाचते भाव।

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  3. बहुत ही सुन्दर हाइकू,बेहतरीन शब्द चयन.

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  4. बहुत सुन्दर भाव, बेहद अनुभवी अभिव्यक्ति !!!

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  5. बहुत उम्दा दीदी

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  6. bahut sunder bhavon se saje haiku
    rachana

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  7. बेहतरीन थिरकन

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  8. wah wah kya baat hai purwar ji sabhi ak se badh kr ak .....badhai sweekaren .

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  9. खाली घरोंदा
    चुपके से आई है
    यादें तुम्हारी ..

    वाह ... बहुत भावमय ... लाजवाब हैं सभी हाइकू ...

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  10. छुए किनारा
    भावुक है लहरें
    आँखों का पानी

    सुन्दर...सारहनीय हाइकु...!
    हार्दिक बधाई,शशि जी...! आपको पढ़कर मुझे मेरा एक हाइकु याद आ गया-

    *****

    आँखों की नदी
    टूट गये तटबंध
    दर्द की बाढ़
    (-जेजे)
    *****

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