बरखा रानी दे रही, अधरों पर मुस्कान
धान बुआई कर रहे, हर्षित भये किसान
हर्षित भये किसान, जगी मन में फिर आशा
पनपता हरित स्वर्ण, पलायन करे निराशा
कहती शशि यह सत्य, हुआ मौसम नूरानी
खिले खेत खलियान, बरसती बरखा रानी
बीड़ी,गुटका,तमाखू ,गांजा, मदिरापान
नष्ट हो गयी जिंदगी, पहुँच गयी शमशान
पहुँच गयी शमशान, फना जीवन की लीला
करा ना कोई काम, नशीला द्रव्य ही लीला
कहती शशि यह सत्य, कर्म में तन मन अटका
पाया तभी मुकाम, नशा है बीड़ी, गुटका
शशि पुरवार
धान बुआई कर रहे, हर्षित भये किसान
हर्षित भये किसान, जगी मन में फिर आशा
पनपता हरित स्वर्ण, पलायन करे निराशा
कहती शशि यह सत्य, हुआ मौसम नूरानी
खिले खेत खलियान, बरसती बरखा रानी
बीड़ी,गुटका,तमाखू ,गांजा, मदिरापान
नष्ट हो गयी जिंदगी, पहुँच गयी शमशान
पहुँच गयी शमशान, फना जीवन की लीला
करा ना कोई काम, नशीला द्रव्य ही लीला
कहती शशि यह सत्य, कर्म में तन मन अटका
पाया तभी मुकाम, नशा है बीड़ी, गुटका
शशि पुरवार